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वैक्सीनेशन से वाटर स्पोर्ट्स के खिलाड़ियों को राहत मिलने की उम्मीद

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में वैक्सीन एक अहम हथियार कही जा रही है. पूरे देश में वैक्सीनेशन की शुरुआत 16 जनवरी से हो गई है. वैक्सीन के आने से वाटर स्पोर्ट्स खिलाड़ी भी राहत की सांस लिए हैं, कि शायद अब कुछ दिनों में वो अपनी प्रैक्टिस कर पाएंगे.

रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह देव
रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह देव

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Published : Jan 21, 2021, 12:57 PM IST

लखनऊ : कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में वैक्सीन एक अहम हथियार कही जा रही है. पूरे देश में वैक्सीनेशन की शुरुआत 16 जनवरी से हो गई है. अब कहा जा रहा है कि वैक्सीन के आने से कोरोना से मुकाबला बखूबी होगा और कई चीजों को गति मिलेगी. हालांकि इस वैक्सीनेशन से खेलों की दुनिया का चेहरा भी बदलने की उम्मीद है, लेकिन कुछ खेल ऐसे भी हैं जिनका कोरोना काल में सबसे बुरा हाल हुआ है. इनमें से एक है वाटर स्पोर्ट्स, जिसकी नेशनल कैंप में तो प्रैक्टिस चल रही है, लेकिन इसके अलावा सामान्य तौर पर खिलाड़ियों की प्रैक्टिस ठप्प पड़ी है. इन्हें सिर्फ फिटनेस ट्रेनिंग से काम चलाना पड़ रहा है.

खेलों की सीमित दायरे में प्रैक्टिस का नहीं मिला लाभ

कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन में खेलों पर भी ग्रहण लग गया था. हालांकि अब कई खेलों की सीमित दायरे में प्रैक्टिस के साथ कोरोना प्रोटोकाल के साथ कई टूर्नामेंट भी हो रहे हैं. लेकिन वाटर स्पोर्ट्स में तो अभी भी टूर्नामेंट्स तो दूर प्रैक्टिस के भी लाले पड़े हैं.

वाटर स्पोर्ट्स में आते हैं- कैनोइंग, क्याकिंग, नौकायन, रोइंग, स्विमिंग, गोताखोरी

वैसे वाटर स्पोर्ट्स खेल में कैनोइंग, क्याकिंग, नौकायन, रोइंग, स्विमिंग, गोताखोरी आते हैं, जिनकी प्रैक्टिस पर मार्च में हुए कोरोना लॉकडाउन के बाद से ताला पड़ा है. जबकि ये खेल ओलंपिक की सूची में आते हैं. वाटर स्पोर्ट्स की प्रैक्टिस देश में चुनिंदा जगहों पर ही होती है, और वो भी बंद पड़ी है.

सिर्फ फिटनेस ट्रेनिंग की है इजाजत

हालांकि इंटरनेशनल इवेंट की तैयारी के लिए प्रैक्टिस तो कैंप में किसी तरह चल रही है, लेकिन इन गेमों के सामान्य खिलाड़ी तो घर में बैठे हैं. हालांकि सात महीने पहले भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने प्रैक्टिस के लिए एसओपी जारी की थी, लेकिन उसमें वाटर स्पोर्ट्स की प्रैक्टिस पर रोक थी और उसके अनुसार सिर्फ फिटनेस ट्रेनिंग की ही इजाजत है.

वैक्सीनेशन के बाद हालात सामान्य होंने की उम्मीद

इस बारे में रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह ने बताया कि अभी हमारे प्लेयर की नेशनल कैंप में प्रैक्टिस चल रही है. उम्मीद है कि वैक्सीनेशन के बाद जल्द हालात सामान्य होंगे और रोइंग भी दोबारा ट्रैक पर आ सकेगी. उन्होंने बोला कि हमारे सामान्य खिलाड़ियों की प्रैक्टिस बंद है और नेशनल भी नहीं हो रहे है. ऐसे में प्लेयर्स का नुकसान न हो इसके लिए हमारा प्रस्ताव है कि ऐसे प्लेयर्स को आयु सीमा में एक साल की छूट मिले. उन्होंने बोला कि फिलहाल हमारे खिलाड़ी ई-पाठशाला से टिप्स लेकर अपना अभ्यास कर रहे हैं. हमारे लिए खिलाड़ियों की हेल्थ पहले है, इसलिए हम हालात सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि प्रैक्टिस दोबारा शुरू की जाय. मुझे विश्वास है कि वैक्सीनेशन से हालत सामान्य होने में मदद मिलेगी.

रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह

खिलाड़ियों की हेल्थ प्राथमिकता

उन्होंने बोला कि अभी रोइंग की प्रैक्टिस देश में कुछ चुनिंदा स्थानों पर साई के सेंटर में होती है. हमारे ज्यादातर राज्य यूनिट के पास आर्थिक दिक्कत के चलते पूरे इक्विपमेंट नहीं है. अगर क्लब खरीदना चाहे तो उनको बस पांच लाख की आर्थिक मदद मिलती है जबकि उसमें 25-30 लाख रूपए का खर्च होता है.

वाटर स्पोर्ट्स की प्रैक्टिस के लिए गाइडलाइन की दरकार : सुधीर शर्मा

इस बारे में रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष व यूपी रोइंग एसोसिएशन के महासचिव सुधीर शर्मा भी चिंता जता चुके हैं कि अगर ऐसे ही प्रैक्टिस पर रोक लगी रही तो जब दोबारा शुरू होंगी तो कई खिलाड़ियों को नये सिरे से शुरूआत करनी होगी. और दोबारा लय हासिल करने में खासा समय लगना तय है. उन्होंने वाटर स्पोर्ट्स की प्रैक्टिस के लिए गाइडलाइन की दरकार बताई.

रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष व यूपी रोइंग एसोसिएशन के महासचिव सुधीर शर्मा

यूपी तैराकी एसोसिएशन के सचिव रविन कपूर के अनुसार तैराकी में अभी अभ्यास की इजाजत नहीं है और सिर्फ फिटनेस ट्रेनिंग की इजाजत है. ऐसे में तैराकी को झटका लगना तय है. क्योंकि स्किल प्रैक्टिस तो पानी में ही हो सकती है, लेकिन खिलाड़ियों की सुरक्षा का मुद्दा सबसे अहम है.

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