लखनऊ: शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में सदस्य पद के चुनाव में जीतने के बाद वसीम रिजवी का विवादित बयान सामने आया है. वसीम रिजवी ने मुतवल्लियों के कर्बला और कब्रिस्तानों में अपने विरोधियों के शवों को दफनाने और लाने से मना कर दिया है. रिजवी ने कहा कि वह एक मुरतद है और उनके साथी भी मुर्तद है, लिहाजा जितने भी लोग उनकी मुखालफ्त कर रहे हैं. वह अब उनकी कर्बला मलका जहां और हमारे साथियों के कब्रिस्तानों में शव न लाए.
जनाजे को कब्रिस्तान में दफनाने से किया इनकार शिया समाज में बढ़ा वसीम का विरोध
पिछले एक साल से भंग चल रहे उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में इन दिनों बोर्ड के गठन को लेकर चुनाव जारी है. मंगलवार को सदस्य पद के चुनाव के बाद अब चेयरमैन का चयन होना है, जिसके बाद यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का गठन पूरा होगा, लेकिन मुतवल्लियों द्वारा वोट देकर वसीम रिजवी को सदस्य बनाए जाने का सोशल मीडिया पर जमकर विरोध हो रहा है. राजधानी लखनऊ सहित पूरे यूपी से शिया समुदाय के लोग ऑडियो और वीडियो जारी कर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं.
संबंधित खबरें-मौलाना कल्बे जवाद मुतवल्लियों की करवाना चाहते हैं मॉब लिंचिंग : वसीम रिजवी
सरकार द्वारा नामित सदस्य बनाएंगे चेयरमैन
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में 11 सदस्य होते हैं. यह 11 सदस्य ही अपने बीच से एक चेयरमैन का चयन करते हैं. मंगलवार को हुए दो सदस्य पद के चुनाव में पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी और भाजपा नेता सय्यद फैजी चुनकर आए हैं. हालांकि दो राज्य बार काउंसिल सदस्य, दो सांसद और दो विधान मंडल सदस्य भी चुनकर आते हैं, लेकिन मौजूदा समय में इनमें एक पूर्व सांसद नूर बानो के अलावा किसी ने नामांकन नहीं किया और चुनाव में नहीं उतरा, लिहाजा अब सरकार बाकी बचे सदस्यों को नामित कर उनका नाम बोर्ड को भेजेगी. वक्फ एक्ट के तहत तीन सदस्य, जिनमें एक मुस्लिम स्कॉलर, एक शिया मुस्लिम समाजिक कार्यकर्ता और एक सरकारी अधिकारी को नामित कर राज्य सरकार बोर्ड का सदस्य बनाएगी. ऐसे में इस चुनाव में कुछ ऐसी परिसथितियां हैं कि चेयरमैन के चयन में बहुमत सरकार द्वारा नामित सदस्यों के हाथ में ही है. अब देखना होगा कि योगी सरकार द्वारा नामित सदस्य किसका चयन करते हैं.