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नई जनसंख्या नीति पर VHP और अखिल भारतीय संत समिति ने जताया ऐतराज, यूपी लॉ कमीशन को लिखी चिट्ठी - यूपी लॉ कमीशन को चिट्ठी

सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति का ड्राफ्ट (Uttar Pradesh Population Policy Draft) जारी कर दिया है. इस मसले पर जहां कई हिंदू संगठन अपना समर्थन दे रहे हैं, वहीं कई लोगों ने इस मसौदे का विरोध किया है. इसी क्रम में विश्व हिंदू परिषद ने भी सवाल खड़े किए हैं. विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने इस मसले पर यूपी लॉ कमीशन को चिट्ठी लिखी है.

विहिप को ऐतराज.
विहिप को ऐतराज.

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Published : Jul 12, 2021, 2:58 PM IST

Updated : Jul 12, 2021, 7:42 PM IST

लखनऊ:सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने रविवार को उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति 2021 का ड्राफ्ट (Uttar Pradesh Population Policy Draft - 2021) जारी किया. जनसंख्या नीति 2021 के ड्राफ्ट पर विश्व हिंदू परिषद ने भी सवाल खड़े किए हैं. साथ ही अखिल भारतीय संत समिति ने भी इसे हिंदुओं के लिए अहितकारी बताया है. विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने इस मसले पर यूपी लॉ कमीशन को चिट्ठी लिखी है.

बता दें कि योगी सरकार द्वारा नई पॉपुलेशन पॉलिसी को को जारी करते हुए 19 जुलाई तक जनता से इस पर राय मांगी गई है. इस जनसंख्या नीति में मुख्य रूप से दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने पर रोक लगाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है.

विश्व हिन्दू परिषद ने अपनी चिट्ठी में ड्राफ्ट में शामिल एक बच्चे की नीति पर सवाल खड़े किए हैं. वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने राय देते हुए कहा कि पब्लिक सर्वेंट या अन्य को एक बच्चा होने पर इंसेटिव देने की बात कही गई है. इस नियम में बदलाव किया जाना चाहिए.

विहिप का कहना है कि दो बच्चों की नीति से जनसंख्या पर जरूर नियंत्रण होगा, लेकिन दो से कम बच्चों की नीति के आने वाले समय में कई नकारात्मक प्रभाव सामने आ सकते हैं.

अखिल भारतीय संत समिति ने जताया ऐतराज.

विश्व हिन्दू परिषद द्वारा यूपी लॉ कमीशन को लिखी गई चिट्ठी में सवाल खड़े किए गए हैं कि अगर वन चाइल्ड पॉलिसी लागू की जाती है तो इससे सामाज में आबादी का असंतुलन पैदा होगा. ऐसे में सरकार को इस बारे में फिर से विचार करना चाहिए, वरना इसका असर नेगेटिव ग्रोथ पर हो सकता है.

विहिप ने इसके लिए असम, केरल जैसे राज्यों का उदाहरण देते हुए लिखा है कि इन राज्यों में जनसंख्या के ग्रोथ में असंतुलन देखा गया है. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को इस तरह के कदम से बचना चाहिए और लाई गई ताजा जनसंख्या नीति में बदलाव करना चाहिए.

बता दें कि विश्व जनसंख्या दिवस यानी 11 जुलाई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति 2021 का ड्राफ्ट (Uttar Pradesh Population Policy Draft - 2021) जारी किया था. इस मौके पर योगी आदित्यनाथ ने बढ़ती हुई जनसंख्या को विकास में एक बड़ी बाधा बताया था.

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उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति 2021 के ड्राफ्ट में दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का जिक्र है. ड्राफ्ट के अनुसार, दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन और पदोन्नति का मौका नहीं मिलेगा. इसके साथ ही दो से अधिक बच्चे होने वालों को राज्य सरकार की 70 से अधिक सरकारी योजनाओं व अनुदान से भी वंचित रखने का प्रावधान ड्राफ्ट में किया गया है. इसके साथ ही स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव लड़ने वाले जनप्रतिनिधियों को यह शपथ पत्र देना होगा कि वह इसका उल्लंघन नहीं करेंगे. दो बच्चे से अधिक होने पर उन्हें स्थानीय निकाय या पंचायत चुनाव में शामिल नहीं किया जा सकेगा.

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अखिल भारतीय संत समिति ने भी खड़े किए सवाल
वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री आचार्य जितेन्द्रानंद सरस्वती ने भी योगी सरकार की नई जनसंख्या नीति पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि इस नीति के ड्राफ्ट में कुछ गड़बड़ी है, जो सही नहीं है. आचार्य जितेन्द्रानंद सरस्वती का कहना है कि गर्भवती महिलाओं के लिए 6,000 रुपये और नसबंदी कराने वाले व्यक्तियों के लिए 2000 रुपये का प्रावधान गलत है. 2,000 के लिए कोई नसबंदी क्यों कराएगा यदि पत्नी गर्भवती होगी तो 6000 रुपये मिलेंगे. यह बड़ी विसंगति है.

उन्होंने कहा हिंदू तो इसका पालन कर सकता है लेकिन विशेष धर्म के लोग नौकरी तो नहीं करेंगे लेकिन वह संतानों को पैदा करते रहेंगे और उनका इस नियम कानून से कुछ लेना-देना भी नहीं होगा. ऐसी स्थिति में इस कानून की बारीकियों के बारे में पुनर्विचार की आवश्यकता है, अन्यथा यह नीति हिंदू समाज के लिए लाभकारी तो नहीं बल्कि घातक हो जाएगी.

Last Updated : Jul 12, 2021, 7:42 PM IST

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