लखनऊः1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में बसपा सरकार में मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. विजिलेंस ने शुक्रवार को नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 40 सरकारी अफसरों को नोटिस भेजा है. नोटिस में नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा को जुलाई के तीसरे हफ्ते में विजलेंस के दफ्तर आकर बयान दर्ज कराने को कहा गया है.
घोटाले में कई हाई-प्रोफाइल लोग शामिल
घोटाले में बसपा के पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा सहित तमाम हाई प्रोफाइल लोग नामजद हैं. विजिलेंस सूत्रों के मुताबिक, स्मारक निर्माण के लिए निर्माण निमग द्वारा कराए जा रहे कामों की समीक्षा तत्कालीन भी पीडब्ल्यूडी मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी करते थे. उच्चाधिकारियों की बैठक भी नसीमुद्दीन के आवास पर ही होती थी. निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग भी यही करते थे. इसी तरह बाबू सिंह कुशवाहा के आवास पर भी उच्चाधिकारियों की बैठक होती थी.
अब तक 23 आरोपी गिरफ्तार
बता दें कि लखनऊ और नोएडा में स्मारकों के निर्माण में 1400 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था. जिसकी जांत 2013 से चल रही है और अब तक 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. वहीं, 6 के खिलाफ अक्टूबर 2020 में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. विजिलेंस के साथ प्रवर्तन निदेशालय भी मामले में जांच कर रहा है. प्रवर्तन निदेशालय ने स्मारक घोटाले में प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट का मामला भी दर्ज किया था और लखनऊ में इंजीनियरों और ठेकेदारों की संपत्तियों को कुर्क किया था.
लोकायुक्त जांच में हुआ था घोटाले का खुलासा
स्मारक घोटोले की शुरुआती जांच तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने की थी. उन्होंने अपनी रिपोर्ट 20 मई 2013 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंपी थी. जिसमें उन्होंने पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा समेत 199 लोगों को जिम्मेदार ठहराया था. अखिलेश सरकार ने इसकी जांच विजिलेंस को सौंपी थी. विजिलेंस की जांच इतनी धीमी गति से चलती रही कि चार वर्षों में इसमें कोई प्रगति नहीं हुई. इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के दखल के बाद विजिलेंस ने जांच पूरी की और अभियोजन की स्वीकृति के लिए प्रकरण शासन को भेजा था. लेकिन, कार्रवाई के नाम पर विजलेंस ने जांच ठंडे बस्ते में डाल दिया.