लखनऊःफर्जी मार्कशीट प्रकरण पूरी तरीके से खत्म नहीं हुआ था कि लखनऊ विश्वविद्यालय के खाते से 1 करोड़ 10 लाख रुपये निकाले जाने का मामला सामने आया. पुलिस इस मामले की भी जांच कर रही है. हालांकि पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली है. अधिकारियों का कहना है कि जिस तरीके से बैंक से रुपये, विभिन्न जगहों से निकाले गए हैं. इसके पीछे अंतरराज्यीय गैंग के बदमाशों के शामिल होने की संभावना है. हालांकि उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में भी तफ्तीश की जा रही है.
विश्वविद्यालय की नाक के नीचे से निकाल लिए पैसे
प्रदेश की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय का विवादों से पुराना नाता रहा है, जहां विश्वविद्यालय के खाते से 1 करोड़ 10 लाख रुपये निकाल लिए गए और लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन को भनक तक नहीं लगी. वहीं दूसरी ओर लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा लंबे समय से चलता आ रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा उस समय उजागर हुआ, जब जानकीपुरम में रहने वाले एक युवक ने विश्वविद्यालय की मार्कशीट बनाने के नाम पर 1 करोड़ ठगे जाने की FIR दर्ज कराई. इसके बाद कई अन्य मामले सामने आए, जिनमें फर्जी मार्कशीट का मामला उभर कर सामने आया.
मार्कशीट का चल रहा है गोरखधंधा
वहीं आईटी कॉलेज की छात्रा की मार्कशीट का मामला सामने आया, जिसमें मार्कशीट पर अंक और लखनऊ विश्वविद्यालय में रजिस्टर्ड अंकों में अंतर पाया गया. इस घटना ने स्पष्ट कर दिया कि लखनऊ विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा किया जाता है. फर्जी मार्कशीट के गोरखधंधे के तार कई अन्य विश्वविद्यालयों से भी जुड़े होने की बात सामने आई है. मामले की गंभीरता को समझते हुए लखनऊ पुलिस ने एसआईटी का गठन किया और एसआईटी ने मामले की जांच करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग से जुड़े आधा दर्जन कर्मचारियों को हिरासत में लिया. एसआईटी प्रमुख अमित कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी तरीके से निकाले गए पैसे और फर्जी मार्कशीट प्रकरण को लेकर जांच चल रही है.
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में पटना के अमरेंद्र कुमार, रौनक गुप्ता, दिल्ली से सुशील कुमार यादव शामिल हैं. वही इस घटना को अंजाम देने वाला मास्टरमाइंड दिल्ली का पंकज जैन और पटना का मानस फरार हो गए हैं. पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि इस घटना में सरसा एजेंसी, विश्वकर्मा एजेंसी, मीना एंड संस द्वारा चेक लगाए गए थे. पुलिस ने जानकारी दी कि इस घटना में बैंक कर्मचारी और विश्वविद्यालय कर्मचारियों की मिलीभगत भी हो सकती है. पुलिस इस एंगल से भी जांच कर रही है.