लखनऊ : कमीशनखोरी मामले में यूपी STF ने कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति विनय पाठक (Vice Chancellor Vinay Pathak) के एक और करीबी को गिरफ्तार कर लिया है. जांच के दौरान सामने आए सीतापुर निवासी संतोष सिंह को शुक्रवार देर शाम STF ने गिरफ्तार किया है. संतोष सिंह, विनय पाठक और जेल में बंद अजय मिश्रा का खास ठेकेदार था. आरोप है कि अजय मिश्रा ठेके लेने के लिए संतोष की कंपनी का इस्तेमाल करता था, एवज में उसे भारी रकम दे देता था.
STF के मुताबिक, संतोष सिंह की कंपनी ने जुलाई 2022 को बरेली में आयोजित हुई बीएड परीक्षा केन्द्रों पर कोरोना किट सप्लाई करने का चार करोड़ का काम किया था. हालांकि एजेंसी की जांच में सामने आया है कि यह कंपनी सिर्फ नाम भर के लिए संतोष की थी, काम सभी अजय मिश्रा ही लेता था. जिसके एवज में अजय मिश्रा ठेके की रकम के अनुसार संतोष को कमीशन दे देता था.
STF के मुताबिक, न सिर्फ बरेली बल्कि 23 वर्क ऑर्डर संतोष की कंपनी को मिले, लेकिन काम अजय मिश्रा ने कराए थे. अधिकारियों की पूछताछ में संतोष ने बताया कि टेंडर डालने से लेकर मिलने तक की देखरेख अजय मिश्रा और उनके लोग ही करते थे. वह बस कमीशन के बदले अपनी कंपनी उन्हें किराए पर दे देता था. अब काम लेने के बदले वह कहां-कहां पैसे देते हैं, यह उसे नहीं पता था.
बता दें, लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में 26 अक्टूबर को डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने FIR दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी साल 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. साल 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच साल 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपया बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की थी, इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक तीन आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन और संतोष सिंह को गिरफ्तार किया है.