लखनऊ:राजधानी लखनऊ में 22 जुलाई 2020 को बीएमडब्लू जैसी 62 लग्जरी गाड़ियों सहित 112 चोरी की कारें बरामद की गईं, लेकिन इस मामले में भी पुलिस की जांच मुकाम तक नहीं पहुंची. नतीजतन यह कारोबार एक बार फिर पुराने ढर्रे पर चल पड़ा है.
कैसे चलता है फर्जीवाड़े का यह गोरखधंधा
कई निजी बीमा कंपनियां 'टोटल लॉस' (दुर्घटना में 75% से ज्यादा नुकसान) हो चुकी गाड़ी (कबाड़) का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट निरस्त नहीं कराती. वह ग्राहक को बीमा राशि देने से पहले सर्वेयर पर दबाव बनाकर या खुद ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से कबाड़ की कीमत लगवाती हैं. बाद में कबाड़ी के हाथों गाड़ी की वास्तविक कीमत से कई गुना ज्यादा कीमत पर बेच देती हैं. इस दौरान वाहन मालिक को कुछ भी बताया नहीं जाता. उसे यह भी मालूम नहीं होता कि उसकी गाड़ी कौन खरीद रहा है. चूंकि वाहन स्वामी को अपनी गाड़ी का क्लेम लेना होता है, तो उसे कंपनियों की बात माननी ही पड़ती है.
बीमा कंपनियां और कंपनियों के दबाव में सर्वेयर सादे सेल लेटर पर वाहन स्वामी के हस्ताक्षर ले लेते हैं. गाड़ी उठाने के बाद कबाड़ी दुर्घटनाग्रस्त वाहन के रंग और मॉडल की नई गाड़ी चोरी कराता है और कबाड़ हो चुकी गाड़ी से चेचिस नंबर काटकर चोरी की गाड़ी में बहुत ही सफाई से टेंपर कर देता है. इसके साथ ही चोरी की गई गाड़ी पर कबाड़ हो चुकी गाड़ी की नंबर प्लेट लगाकर, उसी रजिस्ट्रेशन सार्टिफेकट पर बाजार में बेंच दी जाती है. लखनऊ में बरामद 112 गाड़ियों में ज्यादातर ऐसी गाड़ियां शामिल हैं.
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी
इस संबंध में जब लखनऊ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक एसएन साबत से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसे कई गिरोहों का पर्दाफाश हो चुका है. ऐसे मामलों में जांच अधिकारियों को तह तक पहुंचने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि वाहन चोरी में कई तरह के गिरोह पकड़े गए हैं, जिनमें चेचिस नंबर में हेरफेर के तमाम मामले भी हैं. गाड़ियां नेपाल भी भेजी जाती थीं, जिस पर हमने काफी हद तक रोक लगाई है. एडीजी ने कहा कि यदि इसमें इंश्योरेंस कंपनियों आदि की कोई संलिप्तता मिली तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी.