उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

प्रशंसनीयः कोविड-19 से मृत और लावारिस शवों का करती हैं अंतिम संस्कार

By

Published : Apr 24, 2021, 7:21 PM IST

Updated : Apr 24, 2021, 8:00 PM IST

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक महिला ने ऐसा काम शुरू किया है, जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है. इसके लिए किसी से मदद भी नहीं लेतीं.

लखनऊ
लखनऊ

लखनऊःकोविड-19 महामारी में तमाम गली, चौराहों पर चीत्कार और रुदन सुनाई दे रहा है. मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वहीं, श्मशानों-कब्रिस्तानों का मंजर दर्द की अलग कहानी बयां कर रहा है. कोविड-19 से मरने वालों के अंतिम संस्कार में जहां तमाम मुश्किलें पेश आ रही हैं, वहीं महामारी के दौर में लावारिस लाशों की समस्या भी बढ़ती जा रही है. ऐसे मुश्किल वक्त में लावारिस लाशों की वारिस बनी है लखनऊ की बेटी वर्षा.

लोगों की मदद को बढ़ाए कदम

करवा रहीं अंतिम संस्कार
राजधानी लखनऊ में रहने वाली वर्षा वर्मा उन शवों का अंतिम संस्कार करा रही हैं, जिनका कोई नहीं है. यही नहीं, अस्पताल में पड़ी लावारिस लाशों और कोरोना मरीजों के भी शवों का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा वर्षा ने उठाया है. एक मारुति वैन किराए पर लेकर और एक ड्राइवर के सहयोग से अस्पताल से शव श्मशान घाट ले जाती हैं. वहां पर शव की अंत्येष्टि करती हैं. इस कार्य में किसी से कोई सहयोग भी नहीं लेती हैं. इस काम में सभी संसाधन भी वर्षा के अपने ही होते हैं.

दोस्त की मौत के बाद शुरू की मुहिम
वर्षा वर्मा के पति लोक निर्माण विभाग, लखनऊ में इंजीनियर हैं. वर्षा की एक बेटी है, जो हाईस्कूल में पढ़ती है. वर्षा वर्मा की दोस्त मेहा श्रीवास्तव का पिछले दिनों कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया था. उनके शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं मिल पाई थी. दोस्त की मौत के बाद जब सरकारी सिस्टम ने उनका साथ नहीं दिया तो उन्हें बहुत दुख हुआ.


किया संकल्प, शुरू हुई मुहिम
दोस्त की मौत और मदद न मिल पाने से वर्षा वर्मा को प्रेरणा मिली कि वह ऐसे लोगों की सेवा करेंगी, जिन्हें सरकारी सिस्टम से मदद नहीं मिल पाती. जो लोग कोरोना संक्रमितों के शवों को हाथ लगाना पसंद नहीं करते या जो लावारिस हैं उन शवों का अंतिम संस्कार करने की मुहिम शुरू कर दी. इस काम से उन्हें काफी खुशी भी मिलती है.

किराए पर ली मारुति वैन, शुरू किया काम
सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान बना चुकीं वर्षा वर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने सबसे पहले एक मारुति वैन किराए पर ली और एक ड्राइवर को किराए पर लिया. यहीं से उनका यह सिलसिला शुरू हो गया. वर्षा बताती हैं कि राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों से उन्हें जानकारी मिल जाती है कि किसी मरीज की कोविड-19 संक्रमण से मौत हुई है या मृतक का कोई रिश्तेदार या परिजन नहीं है. वर्षा सीधे अस्पताल जाकर, अस्पताल से शव लेकर श्मशान घाट ले जाती हैं और उसका अंतिम संस्कार करती हैं.

डर नहीं लगता, परिवार के लोग जरूर चिंतित होते हैं
वर्षा वर्मा कहती हैं कि अब उन्हें कोई डर नहीं लगता है. वह सभी एहतियात बरतते हुए इस काम को करती हैं. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि हम इस संकट के समय लोगों की कुछ मदद कर पाएं. खासकर जो लोग कोरोना संक्रमण से ग्रसित होकर दम तोड़ रहे हैं, उनका अंतिम संस्कार कर सकें. तमाम ऐसे भी लोग हैं जो अस्पताल में मर रहे हैं और उनके परिजन भी नहीं पहुंच पाते. कई ऐसे लोग हैं जिनके बच्चे विदेशों में भी हैं और मरने के बाद वह नहीं आ पाते हैं. ऐसे लोगों का हम अंतिम संस्कार करते हैं. वर्षा कहती हैं कि मेरे परिवार के लोग जरूर मेरे इस काम से चिंतित रहते हैं कि कहीं कुछ हो न जाएं लेकिन मैंने ठान लिया है कि अब जो शुरू कर दिया है उसे करती रहूंगी.

150 से अधिक शवों का कर चुकी हैं अंतिम संस्कार
वर्षा वर्मा कहती हैं कि पिछले चार-पांच दिनों से उन्होंने अपना यह काम शुरू किया है और अब तक करीब 150 से अधिक शव का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं. पीपीई किट पहनकर और सारे कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वह काम करती हैं. वर्षा बताती हैं कि अब दो गाड़ियां और चार अटेंडेंट हो चुके हैं. विदेशों तक से फोन करके लोग मदद मांग रहे हैं. इस काम को करते हुए उन्हें कोई डर नहीं लगता. उनके परिवार के लोग जरूर डरते हैं लेकिन परिवार का पूरा उन्हें साथ मिल रहा है.

इसे भी पढ़ेंः अगले कुछ हफ्तों में कोरोना के मामलों में आएगी गिरावट : एक्सपर्ट


अस्पताल से आते हैं फोन और शुरू हो जाती है दिनचर्या
वर्षा कहती हैं कि उन्होंने कई अस्पताल में अपने नंबर और अंतिम संस्कार करने के बारे लिखकर दिया है. सुबह से ही फोन आते हैं और वह करीब 10 बजे घर से निकलकर अपनी एंबुलेंस लेकर लोगों की मदद करती हैं. यहीं से उनकी दिनचर्या शुरू हो जाती है. वह अस्पतालों से शव लेकर श्मशान घाट जाती हैं और वहां पर उनका अंतिम संस्कार करती हैं. इस पूरे काम में वह किसी का भी कोई सहयोग नहीं लेती हैं. वह ऐसे गरीब लोगों के परिजनों के शव लेकर भी जाती हैं जिन्हें एम्बुलेंस नहीं मिल पाती है. यह वह समय जब लोग कोरोना वायरस से ग्रसित लोगों से मिलना पसन्द नहीं करते और यही प्रोटोकॉल भी है. ऐसे समय में वर्षा कोरोना के शव और लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करके मिसाल कायम कर रही हैं. उनके इस काम की लोग खूब तारीफ कर रहे हैं और उन्हें आशीर्वाद भी दे रहे हैं.

Last Updated : Apr 24, 2021, 8:00 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details