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अटल जी की जयंती पर लखनऊ में हुए कला प्रदर्शनी सहित विविध कार्यक्रम

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 97वीं जयंती पर उनको याद करते हुए 23 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में मुख्य रूप चित्र एवं मूर्ति कला प्रदर्शनी आयोजित की गई. प्रदर्शनी में कलाकारों ने अटल जी के 97 फीट का कैनवास बनाया. इसके अलावा अटल जी के व्यक्तित्व पर वेबिनार हुआ और एलयू के छात्र-छात्र-छात्राओं ने उनकी कविताओं का पाठ किया. वहीं इस दौरान संस्कृति मंत्री ने दो पुस्तकों का लोकार्पण भी किया.

अटल जी की जयंती पर लखनऊ में हुए कला प्रदर्शनी सहित विविध कार्यक्रम
अटल जी की जयंती पर लखनऊ में हुए कला प्रदर्शनी सहित विविध कार्यक्रम

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Published : Dec 24, 2020, 7:09 AM IST

लखनऊ: देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 97वीं जयंती पर उनको याद करते हुए 23 दिसंबर को प्रदेश की राजधानी में मुख्य रूप चित्र एवं मूर्ति कला प्रदर्शनी आयोजित की गई. प्रदर्शनी में कलाकारों ने अटल जी के जीवन के विविध पहलुओं को अपने कैनवास पर और शिल्प में ढाला. इसके अलावा अटल जी के व्यक्तित्व पर वेबिनार हुआ और लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र-छात्र-छात्राओं ने उनकी कविताओं का पाठ किया. जयंती समारोह तीन दिन तक चलेगा. प्रदेश के संस्कृति मंत्री डाॅ. नीलकंठ तिवारी दीप प्रज्ज्वलित कर तीन दिवसीय समारोह की शुरुआत की.

कलाकारों ने कैनवास पर अटल जी के व्यक्तित्व को उतारा.

गोमतीनगर नगर स्थित यूपी संगीत नाटक अकादमी परिसर में आयोजित समारोह के उद्घाटन के अवसर पर संस्कृति मंत्री ने कहा कि अटल जी का नाम आते ही एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व उभरकर सामने आता है. एक आदर्श चिन्तक के रूप में, सांसद के रूप में, कवि के रूप में, दार्शनिक के रूप में उनका व्यक्तित्व विराट है. अटल जी एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्हें सभी अपना मानते हैं.

कलाकारों ने कैनवास पर अटल जी के व्यक्तित्व को उतारा.

97 फीट के कैनवास पर उनके व्यक्तित्व को गया उतारा
पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी की 97वीं जयन्ती पर 97 फीट का कैनवास पर उनके व्यक्तित्व को उतारा गया. अटल जी के चित्रों में किसी ने भारत रत्न में उनको दिखाया तो, किसी ने परमाणु विस्फोट के चित्र को दर्शाया. किसी कलाकार ने राजनीतिज्ञ रूप में तो किसी ने कविता पाठ करते अटल जी को दिखाया. ज्यादातर कलाकारों ने एक्रिलिक रंगों का इस्तेमाल किया था. वहीं क्ले से मूर्तिकारों ने अटल जी को अपने- अपने ढंग से मूर्तियों में ढाला.

कैनवास पर उनके व्यक्तित्व को उतारा.

बुजुर्ग कलाकार एंव यूपी ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष लाल जीत अहीर ने सवा दो फीट की अटल जी का पोट्रेट बनाया, तो छात्रा पूनम ने पोखरण विस्फोट को अपने म्यूरल में उतारा. राजेश कुमार ने अटल जी को वृक्ष लगाते म्यूरल बनाया. कला शिविर में भाग लेने वाले अन्य कलाकारों में सुनील कुमार विश्वकर्मा, राजेन्द्र करन, निखिल कुमार, दिनेश सोनकर, सुमित कुमार सहित कुल 51 कलाकार थे. जिसमें 32 चित्रकार व 19 मूर्तिकार थे. शिविर 25 दिसम्बर तक चलेगा.

अटल जी पीएम मोदी के साथ.

यूपी राज्य अभिलेखागार ने लगाई प्रदर्शनी
यूपी राजकीय अभिलेखागार की ओर से आयोजित प्रदर्शनी में अटल जी से जुड़े महत्वपूर्ण समाचारों की कतरन, दुर्लभ छाया चित्र तथा उनके जीवन दर्शन पर केन्द्रित अभिलेखों को रखा गया था. प्रदर्शनी में कहीं अटल जी को अपने माता-पिता तो कहीं उन्हें कविता पाठ करते भी दिखाया गया है. उनके राजनीतिक जीवन को विस्तार से दर्शाया गया है.

अटल जी लता जी के साथ.

पुस्तक प्रदर्शनी में अटल जी की पुस्तकें
यूपी संगीत नाटक अकादमी परिसर में अटल जी से सम्बंधित पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगी. वाणी प्रकाशन तथा राष्ट्रधर्म प्रकाशन द्वारा यहां स्टाल लगाए गए. जहां लोग उनकी पुस्तकें खरीद सकते हैं. स्टाल पर मेरी संसदीय यात्रा, मेरी इक्यावन कवितायें, न दैन्यं न पलायनं, नयी चुनौती नया अवसर, विचार बिन्दु, शक्ति से शान्ति, बिन्दु बिन्दु विचार, कुछ लेख कुछ भाषण, संकल्प काल, हमारे अटल जी, अटल जी की प्रेरक कहानियां, जननायक अटल जी, मैं अटल बिहारी वाजपेयी बोल रहा हूं, सर्वप्रिय अटल जी, अटल जीवन गाथा आदि के साथ ही अंग्रेजी में सेलेक्टेड पोएम भी उपलब्ध हैं.

अटल जी अब्दुल कलाम के साथ.

संस्कृति मंत्री ने किया दो पुस्तकों का लोकार्पण
संस्कृति मंत्री जी ने डॉ. सौरभ मालवीय की पुस्तक 'राष्ट्रवादी पत्रकारिता के शिखर पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी' और डॉ. देवेन्द्र शुक्ल की पुस्तक 'भारत रत्न महामना' का लोकार्पण किया. दोनों पुस्तकें नई दिल्ली के वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हैं.

सनातन काल से अक्षुण्ण है भारत का राष्ट्रभाव
यूपी जैन विद्या शोध संस्थान द्वारा आयोजित 'राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रधर्म' विषयक वेबिनार की शुरूआत करते हुए माननीय संस्कृति मंत्री जी ने कहा कि सत्ता चाहें जिसकी भी रही हो, भारत में राष्ट्र का भाव सदैव जीवित रहा. केरल में जन्मे शंकराचार्य जी ने भारत के पूरे स्वरूप की जिस परिकल्पना को आकार दिया वही राष्ट्रभाव है. पं. दीनदयाल जी ने इसे भारत की चित्ति कहा है. यह सनातन काल से अक्षुण्ण है.

अटल जी संयुक्त राष्ट्र संघ में विदेश मंत्री के तौर पर भाषण देते हुए.

इस अवसर पर वेबिनार के केन्द्रीय कक्ष में जुटे अतिथियों को यूपी जैन विद्या शोध संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो. अभय कुमार जैन ने सम्मानित किया. वेबिनार में गोरखपुर से पुष्पदंत जैन, प्रो. शिवशरण दास, आगरा से डॉ. राजीव जैन, संजय जैन, मैनपुरी से डॉ. शिवानी, कानपुर से डॉ. रंजय प्रताप सिंह, प्रयागराज से प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह, वाराणसी से प्रो. फूलचन्द्र प्रेमी, डॉ. इन्दू जैन, लखनऊ से प्रो. पवन अग्रवाल, डॉ. पत्रिका जैन, प्रो. सुधा जैन और अंजु रघुवंशी ने अपने विचार व्यक्त किए.

विश्वविद्यालय के छात्रों ने पढ़ीं अटल जी के अंदाज में कविताएं
समारोह में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा श्री अटल जी की कविताओं का सस्वर पाठ किया गया. कुछ छात्रों ने उन्हीं के अन्दाज़ में कवितायें पढ़ीं. सुश्री ज्योत्सना सिंह ने मौत से ठन गई, अक्षय प्रताप सिंह ने आओ फिर से दिया जलाए जैसी कवितायें प्रस्तुत की. इस काव्य पाठ में जय सिंह, शिवम पांडेय, आदित्य पांडेय, अनमोल मिश्र, आंचल पांडेय, द्वारिका नाथ पांडेय, सुश्री पिंकी मिश्रा, सविता एवं हरिशंकर ने भाग किया. संस्कृति मंत्री जी ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए.

भारत माता के लाल तुम्हारी जय हो
श्रीपाल गौड़ के सांस्कृतिक दल ने अटल जी की रचनाओं व उन पर केन्द्रित गीतों की प्रस्तुति दी. गायिका शिप्रा चन्द्रा ने आओ फिर से दिया जलायें, मनाली मत जइयो तथा भारत माता के लाल तुम्हारी जय हो सुनाया. लोक गायक शिवलाल भारद्वाज ने जब तक धरती गगन और जमाना रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा सुनाया. अनादि व शिवलाल ने भी गीतों की प्रस्तुति दी. हारमोनियम पर लालधर वर्मा, ढोलक पर आशीष कुमार मिश्र ने संगत की.

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