लखनऊ: 9 अप्रैल 1986 वाराणसी के सिकरौरा गांव के प्रधान रामचंद्र यादव के घर में घुसकर कुछ बदमाशों ने अचानक फायरिंग कर दी. ताबड़तोड़ फायरिंग में रामचंद्र, रामजन्म, सियाराम और चार मासूम बच्चों की हत्या कर दी गई. बदमाश गोली मार कर साइकिल से फरार हो गए. कहा जाता है कि इस हत्याकांड को जेल से छूटे उस बेटे ने अंजाम दिया था, जिसके पिता की गांव के ही दबंगों ने हत्या कर दी थी. आगे चल कर यही बेटा उत्तर प्रदेश में बाहुबली, माफिया और विधायक के रूप में जाना गया.
20 नवंबर 2023 यानी कि सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 1986 को हुए सिकरौरा हत्याकांड में माफिया डॉन ब्रजेश सिंह को बरी और चार लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई. इस हत्याकांड के मामले में मृतक रामचंद्र की पत्नी हीरादेवी ने ब्रजेश सिंह सहित 13 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. कुछ ने कहा कि यह हत्याकांड जमीन विवाद को लेकर हुआ तो कुछ ने इसे एक बेटे का बाप की हत्या का बदला बताया गया. लेकिन, आखिर ऐसा क्या हुआ था कि बाप की मौत का बदला लेने में एक बेटा इतना क्रोधित था कि उसने चार मासूम बच्चों तक को नहीं छोड़ा.
पिता की हत्या से बौखला गया ब्रजेश सिंह
27 अगस्त 1984, वाराणसी के धौरहाहा गांव के रहने वाले रविंद्र नाथ सिंह की उन्हीं के गांव के कुछ दबंगों ने हत्या कर दी. हत्या का आरोप गांव के ही दबंग हरिहर सिंह पर लगा. रविंद्र नाथ सिंह की हत्या से उनका बेटा अरुण सिंह बौखला सा गया. उसने अपने पिता की हत्या का बदला लेने की प्रतिज्ञा ली और निकल पड़ा पिता के हत्यारों की तलाश में. 27 मई 1985 को उसने पिता की हत्या के मुख्य आरोपी हरिहर सिंह की हत्या कर दी. इस हत्याकांड के बाद अचानक पूर्वांचल में अरुण सिंह का नाम हर जुबान पर आने लगा था.
बदमाशों ने चार मासूम सहित 7 को उतार दिया था मौत के घाट
भले ही अरुण सिंह उर्फ ब्रजेश सिंह ने अपने पिता की हत्या करने वाले मुख्य आरोपी हरिहर की हत्या कर दी थी. लेकिन, अभी भी उसका बदला पूरा नहीं हुआ था. लिहाजा वह पुलिस से छिप-छिपकर उन लोगों की तलाश करने लगा, जो उनके पिता की हत्याकांड में शामिल थे. 9 अप्रैल 1986 वाराणसी के सिकरौरा (वर्तमान में चंदौली) के ग्राम प्रधान रामचंद्र, उनके दो भाई रामजन्म, सियाराम और चार बच्चे टुनटुन, उमेश, प्रमोद और मदन की उन्हीं के घर में बदमाशों ने घुसकर सुबह तड़के हत्या कर दी. इस हत्याकांड के बाद मानों पूर्वांचल कांप उठा. सभी की जुबान पर एक ही नाम गूंजने लगा ब्रजेश सिंह. अपने पिता की हत्या के गुनहगारों को मौत के घाट उतारने के बाद ब्रजेश सिंह ने छिपना बंद किया और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इसके बाद तो मानों यूपी में सियासी गलियारों से लेकर जरायम की दुनिया तक में ब्रजेश सिंह के नाम की तूती बोलने लगी थी.