लखनऊ : कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि का जन्म आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था. पौराणिक कथाओं के मुताबिक वैदिक काल के महान ऋषि वाल्मीकि पहले डाकू थे. उनकी जिंदगी में एक ऐसी घटना घटी, जिसके बाद उन्होंने लूटपाट करनी छोड़ दी थी. अगर उनकी जिंदगी में वह घटना नहीं घटी तो शायद ही वाल्मीकि रामायण की रचना करते.
असाधारण व्यक्तित्व के धनी वाल्मीकि जी का नाम रत्नाकर था. कहा जाता है कि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति की 9वीं संतान वरुण और पत्नी चर्षणी के घर हुआ था. बचपन में ही भील समुदाय के लोग रत्नाकर को चुराकर गए थे. इसलिए रत्नाकर का पालन पोषण भील समाज में ही हुई है. रत्नाकर जंगल से आने-जाने वाले लोगों को लूटा करते थे. इसी लूटपाट से वह अपना घर चलाते थे.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार उसी जंगल से भगवान नारद मुनि गुजर रहे थे तो रत्नाकर ने उन्हें भी बंदी बना लिया था. उस वक्त नारद मुनि ने वाल्मीकि से पूछा था कि तुम इतना सारा पाप क्यों करते हो? जिसका रत्नाकर ने जवाब दिया, ये सब काम में मैं अपने परिवार के लिए करता हूं.