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उत्तकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे लखीमपुर के मंजीत के संघर्ष की कहानी पिता की जुबानी - लखीमपुर का मंजीत

Struggle Story of Lakhimpurs Manjeet : उत्तराखंड के उत्तकाशी की सिलक्यारा टनल में 17 दिन के संघर्ष के बाद बाहर निकले उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जनपद के मंजीत के घर दीपावली जैसा माहौल है. पिता चौधरी सिंह ईटीवी भारत से पूरी कहानी बयां की.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 1, 2023, 1:37 PM IST

Updated : Dec 2, 2023, 6:19 AM IST

उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे मंजीत के पिता चौधरी सिंह से संवाददाता अखिलेश्वर पाण्डेय की खास बातचीत.

लखनऊ: लखीमपुर के रहने वाले मंजीत भी उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में 17 दिन तक फंसे रहे थे. जैसे ही उत्तराखंड से लखीमपुर में रहने वाले मंजीत के पिता चौधरी सिंह को ये खबर मिली कि वहां पर सुरंग धंस गई है और उसमें 41 श्रमिक फंसे हैं जिनमें उनका बेटा भी शामिल है, तो उनका कलेजा बैठ गया था. हालांकि, उन्होंने पूरी हिम्मत जुटाई और जिस दिन खबर मिली उसी दिन अपने पास जो भी जेवर गहने रखे थे उन्हें बेचकर ₹9000 जुटाकर उत्तराखंड के लिए निकल पड़े. दूसरे दिन उत्तराखंड पहुंचे और वहां पर अपने बेटे से मिलने, उससे बात करने की कोशिश शुरू की.

टनल के अंदर फंसे बेटे को बंधाई थी हिम्मतः चौधरी सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि जैसे उनको खबर मिली कि उनका बेटा भी उत्तराखंड की टनल में 41 श्रमिकों के साथ फंस गया है तो वह काफी डर गए. तत्काल लखीमपुर से पैसे की व्यवस्था करके सीधे उत्तराखंड के लिए रवाना हुए. हम दूसरे दिन उत्तराखंड पहुंच गए थे. उसी दिन हमने पाइप से सुरंग के अंदर अपने बेटे से बात की. तब कान लगाकर झुककर ही पाइप से बात हो सकती थी. बेटे से मैंने कहा था चिंता मत करना. ताकत बनाए रहना. तुम हिम्मत मत हारना. हम सब बाहर लगे हुए हैं. तेजी से काम हो रहा है. देशवासी सभी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं. देर जरूर लग रही है लेकिन हिम्मत जरूर बनाए रखना. रास्ते में सरिया फंस गई है, इसलिए देर लग रही है, लेकिन काम चल ही रहा है और सब जरूर बाहर निकलोगे.

सुरंग से निकलते ही बेटे ने पैर छूकर लिया आशीर्वादः चौधरी सिंह बताते हैं कि हमें भगवान पर पूरा भरोसा था. भगवान का हम पर और हमारा भगवान पर भरोसा ही श्रमिकों को बाहर निकाल लाया. हमें उम्मीद थी कि हमारे बच्चे और सभी श्रमिक जरूर बाहर निकलेंगे. यह हमारे अंदर भावना थी. जब बेटा बाहर निकला तो हमें बहुत अच्छा लगा. हमारी आंखों में आंसू थे. दौड़कर अपने बेटे को गले से लगाए. बेटे ने हमारे पैर छुए. मैंने कहा बेटा लंबी उम्र हो.

बेटे के बाहर आते ही घर पर मनी दीपावलीःअब सब घर पर बहुत खुश हैं. दीपावली तो जिस दिन बाहर निकला था उसी दिन से मना रहे हैं अब और अच्छे से मनाएंगे. चौधरी सिंह कहते हैं कि अगर बच्चा फिर से नौकरी करने वहीं जाना चाहेगा तो यह उसकी मर्जी है, जा सकता है. हम नहीं रोकेंगे. बच्चे आजकल अपने आप फैसला ले लेते हैं. रास्ता चुन लेते हैं बच्चों का अपना सोचना है. नौकरी तो कहीं करेंगे, कुछ भी हो सकता है.

उत्तराखंड सीएम के सामने किया डांसः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की चौधरी सिंह दिल से तारीफ करते हैं. उनका कहना है कि उन्होंने तो लगातार हमारा ख्याल रखा. हमारे साथ खूब डांस किया. यह भी कह रहे थे कि हम डांस देखेंगे तो सिर्फ चौधरी का ही देखेंगे. बहुत हमें प्यार दिया. हमने भी फिर उनके साथ खूब डांस किया. बुड्ढे तो हम जरूर हैं लेकिन जैसा नाच पाते हैं हमने नाचा.

धामी को हमारी काफी चिंता थीःवहां के मुख्यमंत्री को हमारी बहुत चिंता थी. पूछते थे कि चौधरी किधर है फिर से डांस किया जाए. चौधरी को नाचने दीजिए. बहुत मजा आया. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के साथ मैंने डांस किया आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात होगी तो उनसे कहेंगे कि महाराज बहुत खुशी का दिन है. जो हमारे समझ में उस समय आएगा, कोई गीत गाना जो मेरी समझ में आएगा उनके सामने गा देंगे.

मंजीत की अगवानी, मिलेगा जमीन का पट्टा : टनल हादसे के बाद मजदूर मंजीत चौधरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में मुलाकात के बाद शहर पहुंचे. जिला प्रशासन ने कलेक्ट्रेट में उनका स्वागत किया. मुख्यमंत्री ने मंजीत के परिवार के नाम जमीन का पट्टा करवाने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए हैं. इसके अलावा आयुष्मान कार्ड, प्रधानमंत्री आवास, श्रम कार्ड का लाभ दिलाने की भी बात कही है. कलेक्ट्रेट में प्रभारी डीएम और जिले के सीडीओ अनिल कुमार सिंह ने मंजीत का हालचाल लिया. सीडीओ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि मंजीत के पिता और माता का आयुष्मान कार्ड बना है. प्रधानमंत्री आवास भी परिवार को मिला हुआ है. मंजीत की दो बहनों का भी आयुष्मान कार्ड बनाया जाएगा. प्रभारी डीएम ने बताया कि मंजीत के परिवार को एक जमीन का पट्टा भी दिया जाएगा. एसपी गणेश प्रसाद साहा ने कहा कि साहस, संयम और प्रसाशनिक मशीनरी के कार्यकौशल से सभी मजदूरों को बचाया गया. श्रम विभाग ने रजिस्ट्रेशन कर सर्टिफिकेट दिया गया. डीपीआरओ सौम्यशील सिंह ने कम्बल दिया. बीएसए ने फल की टोकरी और डीएसटीओ ने मिठाई दी.

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Last Updated : Dec 2, 2023, 6:19 AM IST

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