लखनऊ: लखीमपुर के रहने वाले मंजीत भी उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में 17 दिन तक फंसे रहे थे. जैसे ही उत्तराखंड से लखीमपुर में रहने वाले मंजीत के पिता चौधरी सिंह को ये खबर मिली कि वहां पर सुरंग धंस गई है और उसमें 41 श्रमिक फंसे हैं जिनमें उनका बेटा भी शामिल है, तो उनका कलेजा बैठ गया था. हालांकि, उन्होंने पूरी हिम्मत जुटाई और जिस दिन खबर मिली उसी दिन अपने पास जो भी जेवर गहने रखे थे उन्हें बेचकर ₹9000 जुटाकर उत्तराखंड के लिए निकल पड़े. दूसरे दिन उत्तराखंड पहुंचे और वहां पर अपने बेटे से मिलने, उससे बात करने की कोशिश शुरू की.
टनल के अंदर फंसे बेटे को बंधाई थी हिम्मतः चौधरी सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि जैसे उनको खबर मिली कि उनका बेटा भी उत्तराखंड की टनल में 41 श्रमिकों के साथ फंस गया है तो वह काफी डर गए. तत्काल लखीमपुर से पैसे की व्यवस्था करके सीधे उत्तराखंड के लिए रवाना हुए. हम दूसरे दिन उत्तराखंड पहुंच गए थे. उसी दिन हमने पाइप से सुरंग के अंदर अपने बेटे से बात की. तब कान लगाकर झुककर ही पाइप से बात हो सकती थी. बेटे से मैंने कहा था चिंता मत करना. ताकत बनाए रहना. तुम हिम्मत मत हारना. हम सब बाहर लगे हुए हैं. तेजी से काम हो रहा है. देशवासी सभी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं. देर जरूर लग रही है लेकिन हिम्मत जरूर बनाए रखना. रास्ते में सरिया फंस गई है, इसलिए देर लग रही है, लेकिन काम चल ही रहा है और सब जरूर बाहर निकलोगे.
सुरंग से निकलते ही बेटे ने पैर छूकर लिया आशीर्वादः चौधरी सिंह बताते हैं कि हमें भगवान पर पूरा भरोसा था. भगवान का हम पर और हमारा भगवान पर भरोसा ही श्रमिकों को बाहर निकाल लाया. हमें उम्मीद थी कि हमारे बच्चे और सभी श्रमिक जरूर बाहर निकलेंगे. यह हमारे अंदर भावना थी. जब बेटा बाहर निकला तो हमें बहुत अच्छा लगा. हमारी आंखों में आंसू थे. दौड़कर अपने बेटे को गले से लगाए. बेटे ने हमारे पैर छुए. मैंने कहा बेटा लंबी उम्र हो.
बेटे के बाहर आते ही घर पर मनी दीपावलीःअब सब घर पर बहुत खुश हैं. दीपावली तो जिस दिन बाहर निकला था उसी दिन से मना रहे हैं अब और अच्छे से मनाएंगे. चौधरी सिंह कहते हैं कि अगर बच्चा फिर से नौकरी करने वहीं जाना चाहेगा तो यह उसकी मर्जी है, जा सकता है. हम नहीं रोकेंगे. बच्चे आजकल अपने आप फैसला ले लेते हैं. रास्ता चुन लेते हैं बच्चों का अपना सोचना है. नौकरी तो कहीं करेंगे, कुछ भी हो सकता है.