लखनऊ:शासन ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को जोरदार झटका दिया है. बसों के भुगतान के मामले में शासन शर्तों से पीछे हट गया है. श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आने वाले यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए आपातकालीन सेवा के तौर पर परिवहन निगम की बसें लगाई गई थीं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रति बस 38,000 रुपये के भुगतान का एलान किया था, लेकिन अब इसे घटाकर 23,000 कर दिया गया है. इसके चलते प्रतिदिन परिवहन निगम को 6 करोड़ का नुकसान हो रहा है.
परिवहन निगम में बसों की चार्टर बुकिंग के रेट निर्धारित हैं. साधारण बस का किराया 23,000 वसूल किया जाता है, लेकिन कोरोना संकट में आपातकालीन सेवा के रूप में बस का इस्तेमाल किया गया. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रति बस 38,000 रुपये का भुगतान करने को कहा था.
38 हजार रुपये के हिसाब से हुआ भुगतान
28 से 31 मार्च तक 4 दिन के लिए तकरीबन 41 करोड़ का भुगतान भी 38,000 रुपये प्रति बस के हिसाब से किया भी गया. 3 मई से 31 मई तक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की संख्या में इजाफा होने से रोडवेज की 10,000 बसें श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने के लिए लगा दी गईं.
शासन ने 28 हजार पर भरी हामी
जब इन बसों के भुगतान के लिए परिवहन निगम ने शासन को बिल बनाकर भेजा तो शासन ने प्रति बस 38,000 के बजाय 23,000 रुपये के भुगतान करने की हामी भरी. इससे रोडवेज को जोरदार झटका लगा है. अब 28 दिनों के बस संचालन में लगभग 168 करोड़ रुपये का नुकसान परिवहन निगम को झेलना पड़ेगा. इस बारे में मुख्य प्रधान प्रबंधक अतुल भारती ने कहा कि शासन स्तर पर क्या निर्णय लिया गया है, इस पर मुझे टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.
उन्होंने कहा कि जैसा पता लगा है कि पहले 38,000 रुपये प्रति बस भुगतान करने और उसके बाद 23,000 प्रति बस का भुगतान करने का फैसला शासन ने लिया है. इस पर मैं कुछ नहीं बोल सकता. हम 1 जून से बसों का ऑपरेशन शुरू कर चुके हैं. यात्रियों की संख्या के आधार पर हम शीघ्र ही घाटे की भरपाई करेंगे.