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पावर काॅरपोरेशन के इस अधिकारी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ की ताबड़तोड़ कार्रवाई, संगठन के पदाधिकारी खफा

एम. देवराज उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन के पहले ऐसे चेयरमैन हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अब तक ताबड़तोड़ कार्रवाई की है. उन्होंने काम में लापरवाही बरतने के चलते चार कंपनियों का करार खत्म कर दिया है.

शक्ति भवन
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Published : Jul 27, 2022, 9:42 PM IST

लखनऊ : एम. देवराज उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन के पहले ऐसे चेयरमैन हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अब तक ताबड़तोड़ कार्रवाई की है. चेयरमैन एम. देवराज ने आधा दर्जन से ज्यादा विभागीय अफसरों को बर्खास्त किया है, साथ ही दर्जनों अधिकारियों को निलंबित भी किया है. भ्रष्टाचार के खिलाफ बिजली विभाग में सभी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा कार्रवाई की गई है. चेयरमैन ने बर्खास्तगी और सस्पेंशन की ही कार्रवाई नहीं की जो अधिकारी भ्रष्टाचार करके सेवानिवृत्त हो गए हैं उनसे रिकवरी करने के साथ ही पेंशन भी बंद कर दी, ऐसा पहली बार हुआ है. इतना ही नहीं उन्होंने काम में लापरवाही बरतने के चलते चार कंपनियों का करार खत्म कर दिया.


उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी लागू है. ग्रेटर नोए़डा में अस्थाई बिजली कनेक्शन घोटाला मामले में चेयरमैन एम. देवराज ने एक अधिशासी अभियंता, एक उपखंड अधिकारी के साथ ही एक अवर अभियंता को सेवा से बर्खास्त किया. इनके अलावा 13 कर्मचारियों को भारी दंड दिया. अस्थाई कनेक्शन घोटाले में बर्खास्त किए गए अधिशासी अभियंता प्रभात कुमार सिंह को ग्रेटर नोएडा में तैनाती के दौरान अस्थाई कनेक्शन जारी करने में लापरवाही, मनमाने ढंग से फैसले लेने के कारण अपने कर्तव्यों व दायित्वों का निर्वाह न किए जाने का दोषी पाया था. जांच समिति की आख्या पर सेवा से बर्खास्त करने की कार्रवाई की गई.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय

अधिशासी अभियंता प्रभात से 34 लाख 69 हजार 308 रुपये की वसूली का आदेश भी दिया है. इसके अलावा ग्रेटर नोएडा के तत्कालीन उपखंड अधिकारी चंद्रवीर व तत्कालीन अवर अभियंता विशाल शर्मा के खिलाफ सबसे अधिक शिकायतें मिलीं जो जांच में सही पाई गईं. इन अधिकारियों ने एक निजी मोबाइल कंपनी समेत कई बड़ी कंपनियों और फर्मों को अस्थाई कनेक्शन देने में लापरवाही बरती. पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज ने उपखंड अधिकारी से 26 लाख 98 हजार 909 रुपए और अवर अभियंता से 23 लाख 17 हजार 508 रुपये की वसूली का आदेश जारी किया.

चेयरमैन एम. देवराज की तरफ से 13 कार्मिकों को बड़ा दंड दिया गया. स्थाई रूप से इन सभी की वेतन वृद्धि रोक दी गई. कम दंड पाने वाले कर्मचारी की अस्थाई रूप से वेतन वृद्धि रोकी गई. इन कर्मचारियों में अधिशासी अभियंता राकेश मोहन और संजय कुमार की एक वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक, सहायक अभियंता पंकज कुमार राठौर की दो वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक, उपखंड अधिकारी प्रेम शंकर शर्मा की चार वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक, उपखंड अधिकारी शिव कुमार की दो वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक, उपखंड अधिकारी होपेंद्र कुमार तथा सहायक अभियंता संजुल कुमार की एक वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगाई. इनके अलावा सहायक अभियंता नरेंद्र कुमार व अवर अभियंता साजिद अहमद की एक वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक, अवर अभियंता जय सिंह वर्मा, महेश कुमार की तीन वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक, अवर अभियंता बृज किशोर राय, डालचंद्र, राजकुमार और अरविंद की एक वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई. अवर अभियंता सुभाष गौतम की तीन वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक, अवर अभियंता नीरज गुप्ता की एक वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगाई.

चेयरमैन ने ट्रांसमिशन लाइनों और उपकेन्द्रों के निर्माण में शिथिलता और लापरवाही बरतने के कारण निर्माण की धीमी प्रगति पर चार कम्पनियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनके कॉन्ट्रैक्ट रद्द किए. जिन कम्पनियों का करार खत्म किया उनमें मैसर्स सिम्पलेक्स, मैसर्स धन लक्ष्मी इलेक्ट्रिकल प्रा.लि., मैसर्स क्वैश कार्प लिमिटेड और मैसर्स कलश हैं. इन कम्पनियों को 400 केवी लाइन शामली (अलीगढ़), 132 केवी सबस्टेशन निच्लौल (महाराजगंज), 132 केवी खजनी (गोरखपुर) और 132 केवी रुधौली (बस्ती) बनाने का कार्य दिया गया था. कार्य निर्धारित लक्ष्य से बहुत पीछे था.
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राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष जीवी पटेल का कहना है कि सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का हम भी समर्थन करते हैं. बिजली विभाग में मानव संसाधन की कमी है. स्टोर में सामान नहीं है, मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा है और ऐसे में अधिकारियों पर कार्रवाई करना कहीं से सही नहीं है. जो जिम्मेदार हों उन पर कार्रवाई की जाए, लेकिन इस तरह की कार्रवाई भी सही नहीं होती है.

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