लखनऊ. प्रदेश की योगी सरकार स्वच्छता के क्षेत्र में लगातार काम करती हुई नजर आ रही है. पिछले कुछ वर्षों में स्वच्छता को लेकर बड़े काम किए गए हैं, जिसका प्रभाव भी देखने को मिल रहा है. सरकार का कहना है कि स्वच्छता के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर आना चाहता है, जिसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं और इस संबंध में सभी विभाग के आला अधिकारियों को निर्देशित किया गया है. उत्तर प्रदेश में अत्याधुनिक उपकरणों का प्रयोग कर वेस्ट मैनेजमेंट पर भी फोकस किया जा रहा है.
पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद स्वच्छता को लेकर जो मुहिम शुरू की गई थी. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी स्वच्छता को लेकर सजग है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के निर्देश पर स्वच्छता के लिए शासन की ओर से अभियान शुरू किए गए हैं. इन प्रयासों की मदद से सरकार ने स्वच्छता सर्वेक्षण में खुद को अग्रणी स्थान पर लाने का लक्ष्य रखा है. गौरतलब है कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में उत्तर प्रदेश ओवरऑल 10वें, 2020 में 7वें और 2021 में छठवें स्थान पर रहा था. इस बार प्रदेश को न सिर्फ अग्रणी लाने का लक्ष्य रखा गया है, बल्कि सभी पैरामीटर्स पर प्रभावशाली प्रदर्शन भी सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाने हैं.
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के समक्ष हुई बैठक में प्रदेश में स्वच्छता को लेकर किए जा रहे प्रयासों का प्रस्तुतिकरण किया गया. बताया गया कि स्वच्छता को लेकर प्रदेश में कई कदम उठाए गए हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण काम सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर किया जा रहा है. प्रदेश में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (solid waste management) की कुल 36 योजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिनमें 34 पर काम शुरू हो चुका है. इनकी कुल लागत 37042.40 लाख रुपए है. इसमें सरकार की ओर से 17808.28 लाख रुपए अवमुक्त किया जा चुका है. इन योजनाओं के तहत 8 कार्य ऐसे हैं जो 75 प्रतिशत से ज्यादा पूर्ण हो चुके हैं, जबकि 10 योजनाओं का 50 प्रतिशत से अधिक कार्य किया जा चुका है. सिर्फ कासगंज और भदोही में योजनाओं की अभी शुरुआत नहीं हुई है.