लखनऊःउत्तर प्रदेश के नगर निकाय में काम कर रहे करीब 1 लाख 23 हजार कर्मचारी प्रदेश सरकार से खफा है. जल्द ही, अगर इनकी सुनवाई नहीं हुई तो नगर निगम और दूसरे नगर निकायों से मिलने वाली रोजमर्रा की सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं. उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ की ओर से आंदोलन की चेतावनी दी गई है. महासंघ का कहना है कि वह नगर निकाय के कर्मचारियों के वेतन विसंगति, सम वर्गों का पुनर्गठन एवं उच्चीकरण, विनियमितीकरण जैसी मांगों को लेकर पिछले कई सालों से सरकारी विभागों के चक्कर काट रहे हैं. बावजूद, उनकी कोई सुनवाई नहीं की जा रही है. आगामी 16 जुलाई को महासंघ की प्रदेश स्तरीय बैठक के बाद आंदोलन की घोषणा की जाएगी.
कर्मचारियों की ओर से उठाई जा रही कुछ मांगे
- वेतन विसंगति, पदोन्नति, संवर्गों का पुनर्गठन/ ऊंची करण एवं विनियमितीकरण के साथ-साथ राज्य कर्मचारियों की भांति लिपिक संवर्ग किया जाए.
- राजस्व संवर्ग (अकेन्द्रीयित ) के पद धारकों को 50% सहायक राजस्व निरीक्षक के पदों पर पदोन्नति/ पुनर्गठन संबंधी प्रकरण पर तत्काल निर्णय लिया जाए.
- कंप्यूटर ऑपरेटर, चालक संवर्ग, प्राविधिक संवर्ग, सेनेटरी सुपरवाइजर, प्रकाश निरीक्षक, स्टोर कीपर, आशुलिपिक, वर्क सुपरवाइजर एवं प्लंबर, ट्रेसर ड्राफ्टमैन, शिक्षक, विधि अधिकारी जैसे प्रकरणों में पूर्व में भेजे गए प्रस्तावों को प्रभावी किया जाए.
- सफाई कर्मचारी संवर्ग में पूरी सेवा में कम से कम 3 पदोन्नति के अवसर प्रदान करें.
- 31 दिसंबर 2001 तक नियुक्त दैनिक वेतन/ संविदा/ वर्क चार्ज कर्मचारियों का विनियमितीकरण के संबंध में जारी आदेशों का पालन किया जाए.
- जल संस्थान/ जलकल कर्मचारियों को 250 रुपये नगर निगम भत्ता दिया जाना सुनिश्चित किया जाए.
- निकायों की जन्म/ मृत्यु पंजीयन प्रणाली को और मजबूत करने के लिए लिपिक पद नाम सृजित किया जाए. वैक्सीनेटर के साथ-साथ ऐसे संवर्ग के कर्मी जो वर्तमान में मृत संवर्ग पर कार्यरत है, उन्हें उसी वेतनमान में समायोजित किया जाए.
- राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली धनराशि बढ़ी हुई आबादी एवं बढ़े हुए कार्य क्षेत्र के अनुसार किया जाए. इस धनराशि से सभी प्रकार की कटौती को तत्काल बंद किया जाना चाहिए.
- 74 वां संविधान संशोधन पूर्णता प्रभावी किया जाए एवं स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र में निकाय कर्मचारियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए.
- निकाय कर्मचारियों को जल कर, सीवर कर और भवन कर से मुक्त किया जाए.