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सीएम योगी को अधिकारियों ने सौंपी अभियोजन के क्षेत्र में जीती ट्रॉफी - राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और अभियोजन डायरेक्टर आशुतोष पांडेय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. इस दौरान उन्हें इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) से मिली ट्रॉफी सौंपी. उत्तर प्रदेश अभियोजन ने ICJS परियोजना क्रियान्वयन के लिए प्रथम पुरस्कार जीता था.

यूपी ने जीता प्रथम पुरस्कार.
यूपी ने जीता प्रथम पुरस्कार.

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Published : Dec 24, 2021, 12:26 PM IST

लखनऊ :राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा संचालित इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) परियोजना के तहत यूपी पुलिस के अभियोजन यूनिट ने एफआईआर दर्ज कर न्याय की आस देखने वालों को न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाई है. ई-प्रॉसिक्यूशन पोर्टल पर अब तक उत्तर प्रदेश के अभियोजकों द्वारा सबसे अधिक 60 लाख प्रवष्टियां दर्ज की गई थी, जबकि दूसरे स्थान पर मध्य प्रदेश द्वारा 17 लाख और तीसरे स्थान पर रहे गुजरात ने 4 लाख प्रवष्टियां दर्ज की है.


आपको बता दें कि क्राइम इन्वेस्टिगेशन के लिए यह दोनों सिस्टम बेहद ही अहम होते हैं. इंटर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के जरिए देश के पूरे 14,000 पुलिस स्टेशनों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर एक साथ जोड़ा गया है. इसे जो भी एफआईआर दर्ज होती है. वह देश के सभी राज्यों के पुलिस देख सकती है. इस प्रणाली के जरिए क्राइम रोकने और उसकी जांच में काफी सहायता होती है. इसी प्रणाली का उपयोग कर यूपी पुलिस नम्बर एक बनी है. गृह विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा यह प्रथम पुरस्कार अभियोजन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के दिया गया था.

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केंद्र सरकार की इंटरऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस ) योजना के तहत अब उत्तर प्रदेश में कारागार, पुलिस, अभियोजन, कोर्ट और विधि विज्ञान प्रयोगशाला को एक छत के नीचे ला दिया है. सीसीटीएनएस कार्ययोजना के तहत प्रदेश के सभी थाने स्टेट डाटा सेंटर से जुड़े हैं. सीसीटीएनएस पोर्टल पर अपराध एवं अपराधियों की सूचनाएं भी संकलित हैं.

इसी तरह कारागार, अभियोजन, कोर्ट, विधि विज्ञान प्रयोगशाला के डाटाबेस में भी अपराध तथा अपराधियों की सूचनाएं रहती हैं. जिसके चलते अब किसी भी आरोपित के पूर्व आपराधिक इतिहास और जेल में बंद होने की तिथियां आसानी से जुटाई जा सकती हैं. साथ ही इनका ब्योरा कोर्ट में रखकर संबंधित आरोपित की जमानत अर्जी को खारिज कराने में पुलिस को पहले की तुलना में करीब ढाई गुना अधिक सफलता मिल पा रही है.

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