लखनऊ :पश्चिम बंगाल से आने वाली थाई मांगुर मछलियों की खरीद फरोख्त रोकने के लिए उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग गंभीर है. यही कारण है कि विगत 1 वर्ष में 2000 टन से अधिक थाई मांगुर मछलियों को नष्ट किया गया, जिससे गंभीर खतरा हो सकता था. इन मछलियों के सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने बताया कि थाई मांगुर मछली मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है. गंदे वातावरण में पलने वाली यह मछलियां गंभीर बीमारियों का कारण बनती हैं और इनके सेवन से तरह-तरह की बीमारियां फैलती हैं. यही कारण है कि एनजीटी ने इसकी बिक्री व आयात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.
लोगों में प्रचार-प्रसार व जागरूकता की जरूरत
मत्स्य विभाग के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने बताया कि थाई मांगुर मछली के सेवन से गंभीर बीमारियों का खतरा बना रहता है. यही कारण है कि लगातार प्रचार प्रसार किया जा रहा है, जिससे लोग इसके सेवन से बच सकें. इसके साथ ही जहां कहीं भी इस मछली का व्यापार व पालन होता है, उस पर मत्स्य विभाग नजर रख रहा है और वहां पर इन मछलियों के विनिस्ट्रीकरण की कार्रवाई की जा रही है.
जनता का सहयोग अपेक्षित
डॉ. एसके सिंह ने बताया कि थाई मांगुर मछली देसी मांगुर मछलियों की तरह ही होती हैं और यह बहुत तेजी से बढ़ती हैं. यही कारण है कि इन मछलियों की बिक्री अधिक बढ़ जाती है. पर यह मछलियां बहुत ही गंभीर बीमारियों का कारण बनती है.