लखनऊ:चार साल पहले अपनी स्थापना के 68वें वर्ष में उत्तर प्रदेश ने पहली बार अपना स्थापना दिवस मनाया. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सरकार ने 'यूपी दिवस' मनाने का निर्णय लिया. 24 जनवरी 2018 में प्रदेश के लिए इस खास दिन को सरकार ने तीन शब्द 'नव निर्माण, नवोत्थान और नव कार्य-संस्कृति' को आधार बनाते हुए आयोजनों का गुलदस्ता कुछ यूं सजाया कि वास्तव में पहला 'यूपी दिवस' प्रदेश के नव निर्माण का खाका खींचता दिखे. इस आयोजन के लिहाज से प्रदेश आज पांचवीं बार अपना स्थापना दिवस मनाएगा.
ऐसे मनाया जाने लगा यूपी स्थापना दिवस
आजादी के पहले उत्तर प्रदेश यूनाइटेड प्रोविंस (यूपी) या संयुक्त प्रांत के नाम से जाना जाता था. आजादी के बाद 24 जनवरी 1950 को इसका नामकरण उत्तर प्रदेश हुआ. इस तिथि को ही प्रदेश का स्थापना दिवस मानते हुए पहली बार 'यूपी दिवस' के आयोजन की परंपरा शुरू की गई. प्रदेश के राज्यपाल रहे राम नाईक ने इसके आयोजन की सलाह पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी दी थी, लेकिन अखिलेश यादव ने इसे नजरअंदाज कर दिया. प्रदेश में सत्ता बदली तो तत्कालिक राज्यपाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी 'यूपी दिवस' मनाने की सलाह दी, जिसे सीएम योगी तुरंत अमल में ले आए.
24 जनवरी के दिन को खास बनाने के लिए सरकार ने कार्यक्रम का खाका तैयार किया. यूपी स्थापना दिवस के माध्यम से प्रदेश के गांव, शहर, किसान, नौजवान, उद्योग, शिक्षा, सेहत, ऊर्जा, संस्कृति सहित समाज के हर क्षेत्र और विकास के हर पहलू को आयोजन से जोड़ा गया. हालांकि, 'संकल्प से सिद्धि' के दावे के साथ किए जाने वाले इन आगाज को आज अंजाम की कसौटी पर कसना जरूरी होगा.