लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए साइबर अपराध लगातार चुनौती बने हुए है. राजधानी लखनऊ की बात करें, तो बड़े पैमाने पर साइबर अपराध की घटनाएं सामने आ रही हैं. साइबर अपराध की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए लखनऊ में साइबर सेल मौजूद है, बावजूद इसके साइबर अपराध की घटनाएं होती हैं. जहां एक ओर साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर साइबर अपराधियों को गिरफ्त में लेने के लिए मजबूत कानूनी कार्रवाई करते हुए नियमों में बदलाव किया गया है.
डीसीपी ईस्ट प्राची सिंह ने दी जानकारी इस मामले में डीसीपी ईस्ट प्राची सिंह ने बताया कि साइबर फ्रॉड से सबंधित एक नया SOP लागू किया जा रहा है. पहले जब भी किसी के साथ साइबर फ्रॉड होता था. उस समय की काफी विवेचनाएं पेडिंग रहती थीं. लेकिन अब इन्वेस्टिगेशन शुरू कर जल्द कार्रवाई की जायेगी. नए नियमों के तहत साइबर अपराध की घटना होने के बाद जहां एक ओर साइबर सेल तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए साइबर अपराध नंबर जनरेट करेगी.
वहीं, दूसरी ओर साइबर अपराध होने के मामले में थाने पर शिकायत करने की स्थिति में एफआईआर दर्ज होने के 24 घंटे के अंदर इन्वेस्टिगेशन शुरू करते हुए अपराध के संदर्भ में आईपी ऐड्रेस, अकाउंट डिटेल सहित अन्य जानकारी डीसीपी को उपलब्ध करानी होगी. डीसीपी की निगरानी में ये सूचनाएं संकलित करते हुए साइबर क्राइम टीम को भेजना होगा. इसके बाद तत्काल प्रभाव से साइबर सेल इस पर कार्रवाई करेगा.
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अभी तक साइबर अपराध में एफआईआर दर्ज होने के बाद शिथिलता होती थी. इसके चलते साइबर अपराध के मामलों में प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाती थी. लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा. नए नियम के तहत तत्काल प्रभाव से कार्रवाई शुरू करते हुए डीसीपी स्तर के अधिकारी को जानकारी उपलब्ध करानी होगी. ऐसे में जब तत्काल प्रभाव से थाने से सूचना साइबर सेल को उपलब्ध हो जाएगी, तो स्वयं सेल समय रहते प्रभावी कार्रवाई कर सकेगी. इससे आरोपियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई होगी.
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