लखनऊ : कोरोना संक्रमण के बीच बीएड प्रवेश प्रक्रिया में इस साल पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक एडमिशन हुए हैं. प्रदेश भर में बीते वर्ष तकरीबन एक लाख से अधिक सीटें खाली रह गई थी, जबकि इस वर्ष यह संख्या घटकर 60,792 पहुंच गई है. यह जानकारी राज्य समन्वयक संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड की प्रोफेसर अमिता बाजपेई ने दी. हालांकि जानकारों का मानना है कि प्रदेश में सीटों की आवश्यकता से अधिक कॉलेज खुल गए हैं जिस कारण सीटें खाली हैं.
बता दें कि लविवि की ओर से अगस्त में हुई संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड 2020-22 की महाविद्यालय स्तर से सीधे प्रवेश की प्रक्रिया 31 दिसंबर को समाप्त हो गई. इस वर्ष बीएड प्रवेश में कुल 2,44,701 सीटें थी, जिनमें 1,83,909 सीटें ही भर पाई है. सभी चरणों की काउंसलिंग के बाद विभिन्न कॉलेजों में बीएड की 60,792 सीटें खाली रह गई हैं. लेकिन खास बात यह है कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बावजूद यह आंकड़ा बीते सालों के मुकाबले अच्छा रहा है.
एक प्राइवेट कोचिंग संचालक राजकमल ने बताया कि बीएड पाठ्यक्रम बीते वर्षों में एक साल का होता था, लेकिन अब इसकी अवधि बढ़ाकर 2 साल कर दी गई. अभ्यर्थियों को नौकरी नहीं मिलना और जो भर्तियां निकलती भी हैं उनका सालों न्यायालय में फंस जाने से भी छात्रों का मोह बीएड की तरफ भंग होता जा रहा है. उन्होंने कहा कि दूसरा बड़ा कारण यह भी है कि 5 से 10 साल पहले बीएड की सीटें कम हुआ करती थीं, लेकिन अब यूनिवर्सिटी की ओर से कई महाविद्यालयों को बीएड की अनुमति दिए जाने के बाद सीटों की संख्या में भारी इजाफा आया है. अब स्टूडेंट कम सीटें अधिक हो चुकी हैं.