लखनऊ:राजधानी में स्थित एसजीपीजीआई (Sanjay Gandhi Postgraduate Institute of Medical Sciences) में लगी यूरोफ्लो की मशीन खराब हो गई. ऐसे में पेशाब की बीमारी से पीड़ित मरीजों की जांच नहीं हो पा रही है. जिसके कारण मरीजों को भटकना पड़ रहा है. वहीं संस्थान के डॉ आकाश पंडिता को बेहतर शोध के लिए आईसीएमआर अवॉर्ड भी दिया गया है.
एसजीपीजीआई (Sanjay Gandhi Postgraduate Institute of Medical Sciences) में 15 दिन यूरोफ्लो मशीन खराब है. ऐसे में पेशाब की मात्रा व प्रवाह की दर की जांच नहीं हो पा रही है. बुधवार को करीब दो दर्जन मरीज बिना जांच के वापस लौट गए. मशीन खराब होने के संदर्भ में स्टोन सेंटर के प्रवेश द्वार पर नोटिस भी चस्पा कर दी है. वहीं दूसरी ओर यूरोलॉजी के डॉक्टर रोज जांच के लिए लिख रहे हैं. जब मरीज जांच शुल्क जमा करके जब सेंटर पर पहुंचते हैं तो उन्हें मशीन खराब होने की जानकारी होती है. गौरतलब है कि मशीन 13 दिसम्बर से खराब है. मशीन खराब होने के चलते अब तक 500 से ज्यादा मरीज बिना जांच के लौट चुके हैं.
पीजीआई के डॉ. आकाश पंडिता को मिला आईसीएमआर अवॉर्ड
एसजीपीजीआई में 15 दिन से खराब है यूरोफ्लो मशीन, मरीज परेशान
एसजीपीजीआई (Sanjay Gandhi Postgraduate Institute of Medical Sciences) में 15 दिन यूरोफ्लो मशीन खराब है. ऐसे में पेशाब की मात्रा व प्रवाह की दर की जांच नहीं हो पा रही है. बुधवार को करीब दो दर्जन मरीज बिना जांच के वापस लौट गए. मशीन खराब होने के संदर्भ में स्टोन सेंटर के प्रवेश द्वार पर नोटिस भी चस्पा कर दी है.
पीजीआई के नियोनेटोलॉजी विभाग के डॉ. आकाश पंडिता को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को डॉ. एचबी डिंगले मेमोरियल यंग रिसर्च अवार्ड मिला है. प्रदेश में पहली बार किसी नियोनेटोलॉजिस्ट को यह अवार्ड दिया गया है. उन्होंने तीन शोध किये हैं. डॉ. आकाश पंडिता के द्वारा खोजी गईं तीन अहम तकनीक से उपचार में उपयोग कर नवजात को बचाने में कामयाबी मिली है. डॉ.आकाश ने सरफैक्टैंट विद आउट इंडोट्रेकियल इंट्यूबेशन तकनीक ईजाद की है.
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