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पुरू की बहादुरी और वचन प्रतिबद्धता को दर्शाता उर्दू नाटक ‘पोरस’ का मंचन - फ्रेंड्स एंड फ्रेंड्स एसोसिएशन

गोमती नगर स्थित बीएनए के थ्रस्ट थियेटर में ऐतिहासिक उर्दू नाटक ‘पोरस’ का मंचन किया गया. इस नाटक में राजा पोरस और सिकंदर के बीच की कहानी को दिखाया गया है.

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उर्दू नाटक ‘पोरस’ का मंचन.

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Published : Feb 26, 2021, 6:00 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी एवं फ्रेंड्स एंड फ्रेंड्स एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान से ठाकुर प्रसाद सिंह द्वारा लिखित एवं वामिक खान और युसूफ खान द्वारा निर्देशित ऐतिहासिक उर्दू नाटक ‘पोरस’ का मंचन हुआ. यूनानी आक्रान्ता सिकन्दर से भारतीय राजा पुरू के साहसिक युद्व पर आधारित इस नाटक का मंचन गुरुवार की शाम को गोमती नगर स्थित बीएनए के थ्रस्ट थियेटर में किया गया.

कार्यक्रम की शुरुआत द्वीप प्रज्जवलन से हुई. सबसे पहले समाज की विभिन्न विधाओं से जुड़ी विभूतियों में कथक व भरतनाट्यम शास्त्रीय नृत्य का विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले विवेक वर्मा (कला उन्नयन), जुबैर अहमद, शाहीद सिद्दीकी (पत्रकारिता), विनय पाण्डे (फोटो पत्रकारिता), आचार्य राजीव शुक्ला (ज्योतिष), अनुराग श्रीवास्तव, नसीम एहमद सिद्दीकी (शिक्षा), सनी मलिक (एक्जीबिशन), राजीव प्रभास ‘साहिर’ (लेखन), मोहम्मद सैफ (फिल्म प्रोडक्शन), विनय पाण्डे (फोटो पत्रकारिता), शहजादे कलीम (सोशल एक्टिविस्ट) के साथ आजाद हाफिज, राजेश जयसवाल, अनिल द्विवेदी (समाज सेवा) व अन्य को पोरस अवार्ड देकर सम्मानित किया गया.

कार्यक्रम के अगले प्रसून में नाटक की शुरूआत हुई इतिहास के उस अध्याय से, जब सिकन्दर सिन्धु घाटी को पार करता हुआ भारत के तक्षशिला पहुंचता है और वहां के राजा आम्भी के साथ अन्य राजा महाराजा भी उसकी ताकत के डर से उसकी इतात को कबूल कर लेते है. लेकिन वीर राजा पुरू उसकेे सामने झुकने से इन्कार कर देते हैं. तब सिकंदर विभिन्न चालें चलकर राजा पुरू को पराजित कर उन्हें बंदी बना लेता है. नाटक के अंत में सिकंदर राजा पुरू के प्रभावशाली एवं साहस से पूर्ण व्यक्तित्व से प्रभावित हो उनका राज्य उन्हें वापस सौंप कर अपने वतन यूनान लौट जाता हैै.

नाटक में राजा पुरू की बहादुरी एवं वचन प्रतिबद्धता के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि हिम्मत एवं सच्चाई से बड़ी से बड़ी जंग को जीता जा सकता है. मंच पर पोरस के रूप में उदयवीर सिंह, सिकन्दर के रूप में यूसूफ खान, रूखसाना के रूप में डॉ. इफ्फत रूखसार, प्रार्थना के रूप में तान्या सूरी और राजा आम्भी के रूप में नरेन्द्र पंजवानी मुख्य भूमिकाओं में नजर आए. इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में स्नातक सदस्य विधान परिषद इंजीनियर अवनीश कुमार सिंह के साथ अपर्णा बिष्ट यादव व कला प्रेमी मौजूद रहे.

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