लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में संविदा पर तैनात चालक अपनी समस्याओं के चलते मौत की नींद सोने को मजबूर हो रहे हैं, लेकिन परिवहन निगम के अधिकारी नींद से जाग ही नहीं रहे हैं. विगत एक माह में तीन से ज्यादा संविदा चालक परिचालक मौत के मुंह में समा गए हैं, लेकिन अधिकारियों का इधर ध्यान गया ही नहीं. चार दिन पहले गाजीपुर डिपो के एक संविदाकर्मी ने बस में ही फांसी लगाकर जान दे दी. इसके बाद बीते सोमवार को बांदा डिपो के एक चालक ने बस में ही आत्महत्या कर ली. इससे पहले बरेली डिपो के चालक मोहित यादव ने भी अपनी जान दे दी. इसके अलावा कई परिचालक आत्मदाह करने की चेतावनी भी परिवहन निगम मुख्यालय को भेज चुके हैं.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में कार्यरत संविदाकर्मी कम वेतन होने, रूट पर ड्यूटी न मिलने और अधिकारियों की प्रताड़ना से परेशान होकर जान देने को मजबूर हो रहे हैं. पहले बरेली का एक प्रकरण सामने आया जिसमें परिचालक ने यात्रियों के दो मिनट के लिए बस रोकने का खामियाजा भुगता. यात्री बस से नीचे उतरकर नमाज पढ़ने लगे यह वीडियो वायरल हुआ. परिचालक की संविदा समाप्त कर दी गई.
इसके कुछ ही समय बाद परिचालक मोहित यादव ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली. इसके बाद गाजीपुर डिपो के एक संविदाकर्मी अजय कुमार ने बस के अंदर ही परिवार न चला पाने की समस्या के चलते बस के अंदर फांसी लगाकर जान दे दी. बीते सोमवार को प्रयागराज में रोडवेज के संविदा चालक वेद प्रकाश यादव ने बस के अंदर फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. संविदा चालक वेद प्रकाश बांदा डिपो में तैनात थे.