यूपीएसआरटीसी में निजीकरण की रफ्तार तेज. देखें वरिष्ठ संवाददाता अखिल पांडेय की रिपोर्ट लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम धीरे-धीरे निजीकरण की तरफ बढ़ने लगा है. अब यूपीएसआरटीसी के 19 डिपो के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी परिवहन निगम ने प्राइवेट फर्म को देने का फैसला लिया है. हाल ही में निदेशक मंडल की बैठक में इस पर मुहर भी लगा दी गई. उत्तर प्रदेश में परिवहन निगम के कुल 20 रीजन है इनमें से एक रीजन में पहले से ही निजीकरण की व्यवस्था लागू है. अब 19 रीजन के एक-एक डिपो में बसों की मरम्मत की जिम्मेदारी आउटसोर्स के हवाले होगी. इन 19 डिपो में से लखनऊ रीजन का अवध डिपो भी शामिल है.
निजी फर्म के हवाले दिए गए बस डिपो. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्राइवेटाइजेशन के रास्ते पर बढ़ चला है. बोर्ड बैठक में दो ऐसे अहम फैसले लिए गए हैं जिनसे यह साफ हो गया है कि अब प्राइवेटाइजेशन को ही बढ़ावा दिया जाएगा. इनमें एक फैसला अनुबंधित बस मालिकों को लेकर है जिसमें अब प्राइवेट बस ऑपरेटर का ही ड्राइवर और कंडक्टर होगा. यानी रोडवेज के कंडक्टर की अनुबंध वाली बसों से छुट्टी कर दी जाएगी. इसके बाद एक और अहम फैसले पर मुहर लगी है जिसमें अब डिपो में बसों के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी प्राइवेट लोग संभालेंगे. परिवहन निगम के अधिकारियों का तर्क है कि लगातार मानव संपदा की कमी होने के चलते ऐसा फैसला करना पड़ा है. कर्मचारियों के अभाव में बसों का मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा था जिसके चलते बसें रूट पर निकलने के बजाय डिपो में ही खड़ी रह जाती थीं या फिर खराब मेंटेनेंस होने के चलते बीच रास्ते में ही खराब हो जाती थीं जिससे यात्रियों को दिक्कत होती थी. अब आउटसोर्सिंग से बसों की मरम्मत होगी तो राह चलते बसों के खराब होने की समस्या नहीं आएगी.
निजी फर्म के हवाले दिए गए बस डिपो.
अवध डिपो प्राइवेट कर्मचारियों के हवाले : लखनऊ रीजन की बात करें तो यहां पर एसी बसों के हब वाले अवध डिपो की जिम्मेदारी प्राइवेट फर्म संभालेगी. यानी अब ऐसी बसों का मेंटेनेंस परिवहन निगम के कर्मचारियों के बजाय प्राइवेट कर्मचारी करेंगे. गर्मी के मौसम में अमूमन हर रोज एसी जनरथ बसों के बीच रास्ते खराब होने या फिर एसी न चलने की यात्रियों की शिकायतें आती रही थीं जिससे अब डिपो के बसों की मेंटेनेंस की जिम्मेदारी प्राइवेट हाथों में सौंपने का फैसला लिया गया है.