लखनऊ :उत्तर प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को 15 सितंबर तक के लिए बंद कर दिया गया है. इन केंद्रों में 3 से 6 वर्ष उम्र तक के बच्चे आते हैं. निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार डॉ. सारिका मोहन की ओर से शुक्रवार देर शाम यह आदेश जारी किया गया.
दरअसल, प्रदेश में कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति को देखते हुए 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए इन केंद्रों को बंद करने का यह अहम फैसला लिया गया है. निदेशक की ओर से सभी जिला अधिकारी और जिला प्रशासन के जिम्मेदारों को इसे कड़ाई से लागू किए जाने को कहा गया है.
यह दिशानिर्देश किए गए जारी
- कोरोना की वजह से आंगनबाड़ी केंद्र 15 सितंबर तक बंद कर दिए गए हैं.
- प्रदेश में विशेष सतर्कता बरतने के लिए इन आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद किया गया है.
- आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा केंद्र खोलकर अनुपूरक पोषाहार प्राप्त किया जाएगा.
- कार्यकत्रियों द्वारा लाभार्थी को डोर-टू-डोर किया जाएगा वितरण.
आंगनबाड़ी के आदेश की आड़ में खोले गए थे प्री-स्कूल
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से तीन चरणों में कक्षा 1 से 12 तक के स्कूलों को खोला जा चुका है. छोटे-छोटे बच्चे पहले से ही स्कूल जा रहे हैं. वहीं, आंगनबाड़ी केंद्रों के खुले होने का हवाला देकर प्री-स्कूल्स भी खुलने लगे थे. ऐसे में विभाग की ओर से जारी इस आदेश के बाद यह साफ हो गया है कि प्री-स्कूल में भी बच्चों को नहीं बुलाया जाएगा.
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अभिभावक बोले, बड़े बच्चों की सुरक्षा भी ताक पर
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के इस आदेश के बाद प्राइमरी के बच्चों को भी इस फिलहाल स्कूल न बुलाए जाने की मांग उठने लगी है. अभिभावकों का कहना है कि छोटे बच्चों के लिए स्कूल जाना सुरक्षित नहीं है. स्कूल प्रशासन चाहे जितने भी दावे करें लेकिन उनके लिए हर बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित कर पाना संभव नहीं है. ऐसे में बेहतर होगा कि जब तक स्थितियां सामान्य नहीं होती तब तक ऑनलाइन क्लासेज के सहारे ही पढ़ाई कराई जाए.
निजी स्कूलों के दबाव में छात्रों को बुलाया गया
आरोप यह भी है कि स्कूल खोलने के मामले पर सरकार निजी स्कूल प्रबंधकों के दबाव में काम कर रही है. माध्यमिक शिक्षक संघ के डॉक्टर आरपी मिश्र की मानें तो बीते दिनों विधान भवन में हुई बैठक के दौरान उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने खुद यह स्वीकार किया कि निजी स्कूलों के शिक्षकों के वेतन जैसी समस्या सामने आ रही है.
ऐसे में स्कूल खोलना आवश्यक है. अभिभावक संघ का कहना है कि कोई भी निजी स्कूल प्रबंधन किसी भी तरह की रियायत अभिभावकों को नहीं दे रहे. पूरी पूरी फीस वसूली जा रही है. इस वसूली के बावजूद भी बच्चों के भविष्य और उनके जीवन पर खतरा क्यों पैदा किया जा रहा है?