लखनऊ : उत्तर प्रदेश पाॅवर काॅरपोरेशन ने पहली बार एकमुश्त समाधान योजना में बिजली चोरों को भी छूट लेने का मौका दिया है, लेकिन अब बिजली विभाग के इस कदम पर सवाल खड़े होने लगे हैं. आरोप लग रहे हैं कि बड़े स्तर की बिजली चोरी करने वाले अमीरों को गरीबों के नाम पर लाभ पहुंचने के लिए ऐसा किया गया है. बड़े-बड़े उद्योगों में बड़े स्तर की बिजली चोरी पकड़ी जा चुकी है. ऐसे में ओटीएस का लाभ उन्हें देने के लिए छोटे-छोटे उपभोक्ताओं को जरिया बनाया गया है. बिजली चोरों को एकमुश्त समाधान योजना में छूट दिए जाने पर इसे कानून का खुला उल्लंघन मानते हुए अब सीबीआई जांच की मांग उठने लगी है.
उत्तर प्रदेश में बिजली चोरों को छूट दिए जाने का मामला काफी उलझता जा रहा है. पाॅवर कॉरपोरेशन की तरफ से एकमुश्त समाधान योजना के लिए जारी आदेश में बिजली चोरों को 65 प्रतिशत तक छूट दिए जाने के आदेश में एक नया मोड़ आ गया है. उपभोक्ता परिषद ने पाॅवर काॅरपोरेशन प्रबंधन से इस मामले पर बात की है. पाॅवर कॉरपोरेशन व मध्यांचल प्रबंधन ने कहा कि बिजली चोरी में छूट सभी कैटेगरी के उपभोक्ताओं के लिए है. चाहे एक किलोवाट का उपभोक्ता हो या 10 हजार किलोवाट का उपभोक्ता. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पाॅवर कॉरपोरेशन एक करोड़ से लेकर चार करोड़ तक के विद्युत उपभोक्ताओं को भी बिजली चोरी में छूट दे रहा है जो अपने आप में ऊर्जा क्षेत्र के लिए काला अध्याय साबित होगा. गरीब विद्युत उपभोक्ता के नाम पर अमीरों को लाभ देना अपने आप में सीबीआई जांच का मामला है. पूरे उत्तर प्रदेश में पांच किलो वाट के ऊपर जो विद्युत उपभोक्ता बिजली चोरी कर रहे थे उनकी कुल संख्या लगभग 53,011 है. उन पर कुल राजस्व निर्धारण लगभग 1,250 करोड का हुआ है, जो सभी छूट के लेने के लिए लगे हैं. अब तक कुल उपभोक्ता जिन्होंने बिजली चोरी की है उनका राजस्व निर्धारण लगभग 5,252 करोड है, जो अपने आप में चौंकाने वाला है.