लखनऊ: उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं को नया कनेक्शन लेने के लिए विद्युत नियामक आयोग की तरफ से बनाए गए कानून कॉस्ट डाटा बुक का जमकर उल्लंघन किया है. बिजली कंपनियों में कार्यरत अभियंताओं ने कई जिलों में उपभोक्ताओं के लिए प्राविधानित ट्रांसफार्मर, कंडक्टर और पोल मद में 27 प्रतिशत से लेकर 35 प्रतिशत तक इस्टीमेट अधिक बनाकर प्रदेश भर में लगभग 100 करोड़ से ज्यादा की वसूली पिछले सालों में उपभोक्ताओं से की गई. इसके लिए पूरे प्रदेश में सघन जांच होने पर इस धनराशि में इजाफा भी हो सकता है.
उपभोक्ता परिषद की याचिका पर विद्युत नियामक आयोग ने सभी बिजली कंपनियों को कॉस्ट डाटा बुक के अनुसार ही इस्टीमेट निर्गत करने का निर्देश जारी किए है. साथ ही इसके उल्लंघन पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत कार्रवाई की बात कही है. इस पूरे मामले पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज से शक्ति भवन में मुलाकात कर प्रदेश के उपभोक्ताओं की समस्या रखी. कुछ साक्ष्य भी पेश किए, जिसमें बिजली कंपनियों की तरफ से विद्युत उपभोक्ताओं से तय दर से कहीं अधिक वसूली की गई.
उपभोक्ता परिषद ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बिजली कंपनियों के अभियंताओं को यदि कॉस्ट डाटा बुक और विद्युत वितरण संहिता का ज्ञान नहीं है तो वह किस प्रकार विद्युत उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान कर रहे हैं? यह समझ से परे है जबकि इन अभियंताओं को प्रशिक्षण देने के लिए एक प्रशिक्षण संस्थान भी बना है.
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