लखनऊ: केजीएमयू के अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में रविवार को तीन दिवसीय यूपीकॉन 2023 कान्फ्रेंस का समापन हुआ. कान्फ्रेंस का आयोजन लखनऊ अब्सट्रेक्टस एंड गायनकोलॉजिस्ट सोसाइटी (एलओजीएस) और गायनी एकेडिमक वेलफेयर एसोसिशन की ओर से हुआ. इसमें देश-विदेश से करीब 1200 डॉक्टरों ने शिरकत की. 600 से अधिक स्टाफ नर्स को सामान्य प्रसव के लिए प्रशिक्षित किया गया.
ग्लोब हॉस्पिटल के यूरोलॉजिस्ट एंड ऑडियोलॉजिस्ट डॉ. सलिल टंडन ने कहा कि मौजूदा समय में आईवीएफ प्रणाली काफी प्रचलित हो चुकी है. शहर में जगह-जगह आईवीएफ सेंटर खुले हुए हैं. अगर बच्चा नहीं हो रहा है तो लोग सबसे पहले आईवीएफ प्रणाली की ओर रुख करते हैं. जब किसी शादीशुदा जोड़े को बच्चा नहीं होता है उस समय लोग यही आरोप लगाते हैं कि जरूर महिला में कमी है लेकिन ऐसा नहीं होता है.
एक रिसर्च के मुताबिक यह पता चला है कि अगर किसी महिला को बच्चा नहीं हो रहा है तो इसके पीछे कई कारण होते हैं. इसमें पति पत्नी बराबर के हिस्सेदार होते हैं. यानी कि जितनी कमी पत्नी में होती है, उतनी ही कमी पति में भी होती है. बच्चा न होने का एक कारण यह भी है कि मौजूदा समय में लोग बढ़ती उम्र में शादी करते हैं महिलाओं के लिए निर्धारित किया गया है कि 26 से 35 वर्ष की आयु में महिलाओं को शादी करना चाहिए.
वहीं पुरुषों की कोई उम्र निर्धारित नहीं थी लेकिन मौजूदा समय में पुरुषों के लिए भी उम्र निर्धारित की गई है. अगर 35 वर्ष के बाद कोई पुरुष शादी करता है तो महिला को बच्चा होने में समस्या उत्पन्न होती है. क्योंकि पुरुष का स्पर्म सीमेन कम होने लगता है. जिस कारण महिला का गर्भ नहीं ठहरता है. इसलिए जरूरी है कि युवा सही उम्र में शादी करें ताकि सही उम्र में बच्चे हो सकेंगे.
थोड़े-थोड़े अन्तराल में खाएंःडॉ. प्रीति कुमार ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान अच्छा पोषण महत्वपूर्ण होता है. महिलाओं को थोड़े-थोड़े अंतराल में भोजन करना चाहिए. उन्होंने बताया कि भोजन में दाल, चावल व रोटी खाएं. साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थ विटामिन और आहारीय फाइबर से भरपूर होते हैं, जो आपको कब्ज से बचाते हैं. साबुत अनाज से बने उत्पादों का चयन करें. इसमें ब्राउन राइस और आटे की ब्रेड फायदेमंद है. चपाती या पिटा ब्रेड बनाते समय चोकर युक्त गेहूं के आटे फायदेमंद है.
फल-सब्जियां फायदेमंदःडॉ. प्रीति कुमार ने बताया कि सब्जियां और फल विटामिन और मिनरल के अच्छे स्रोत हैं. गहरे हरे रंग की सब्जियां फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं. इसके सेवन से भ्रूण को न्यूरल ट्यूब दोष से प्रभावित होने से बचाता है. संतरे और कीवी जैसे फलों में पाया जाने वाला विटामिन सी आपके शरीर को आयरन अवशोषित करने में मदद करता है. कद्दू, टमाटर और गहरे हरे रंग की सभी सब्जियां कैरोटीन से भरपूर होती हैं, जिसे शरीर में विटामिन ए में बदला जा सकता है.
फास्ट फूड के सेवन से बचेंःमांस, मछली, अंडे भी खा सकती हैं. सोयाबीन व मेवे भी गर्भावस्था में लाभदायक हैं. खाने की इन वस्तुओं में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, आयरन और विटामिन बी-12 होता है. दूध-दही, गुड़ का सेवन भी करें. कान्फ्रेंस की चेयरपर्सन डॉ. चन्द्रावती ने बताया कि ज्यादा तली भुनी वस्तुओं से सेवन से बचना चाहिए. फास्ट फूड, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक, छोले-भटूरे, चाउमीन के सेवन से परहेज किया.
प्रसव के बाद रक्तस्राव गंभीरःफॉग्सी की जनरल सकेट्री डॉ. माधुरी पाटिल ने बताया कि प्रसव के दौरान या बाद में रक्तस्राव से महिलाओं की जान जोखिम में पड़ सकती है. इसे पोस्ट पार्टम हेमरेज (पीपीएच) कहते हैं. यह प्रसव के बाद 12 सप्ताह तक हो सकता है. इसके अधिकतर मामले सिजेरियन डिलीवरी में देखें गए है. उन्होंने बताया है कि भारत में हर 10 हजार से 100 महिलाओं में डिलीवरी के दौरान या बाद में पीपीएच की समस्या होती है. चिंता की बात यह है कि पीपीएच के लक्षण हर महिला में अलग हो सकते हैं. प्रमुख लक्षण अधिक रक्तस्राव. ब्लड प्रेशर में गिरावट, धड़कन का बढ़ना व हीमोग्लोबिन में कमी हो सकती है. समय पर लक्षणों की पहचान कर प्रसूता को गंभीर होने से बचाया जा सकता है.
बार-बार गर्भपात घातकःडॉ. पारुल गुप्ता ने बताया बार-बार गर्भपात महिला की सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है. परिवार नियोजन के साधनों का इस्तेमाल कर इस खतरे से आसानी से बच सकते हैं. उन्होंने बताया कि अनचाहे गर्भ के ठहरने के बाद लोग बिना डॉक्टर की सलाह के मेडिकल स्टोर से दवा खरीदकर खाते हैं. ऐसे में पूरी तरह से गर्भपात नहीं हो पाता है. ये आपके लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं.
इनका प्रभाव भविष्य में होने वाली प्रेग्नेंसी पर भी पड़े. गर्भपात कराने वाली गोलियां प्रेग्नेंसी हॉर्मोन प्रोजेस्टेरॉन के उत्पादन को बंद कर देती हैं. इसका परिणाम यह है कि भ्रूण गर्भाशय से अलग होकर बाहर आने लगता है. गर्भाशय का संकुचन ब्लीडिंग को बढ़ा देता है. यह आपके पीरियड की ब्लीडिंग से ज्यादा मात्रा में हो सकती है. यह कुछ दिनों, हफ्तों से लेकर एक महीने तक हो सकती है. शरीर में ऐंठन और जी मितली करने जैसे गंभीर लक्षण हो सकते हैं.
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