उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

Up Assembly Monsoon Session : आराधना मिश्रा मोना ने बाढ़ एवं सूखे से प्रभावित किसानों व अन्य पीड़ितों को मुआवजा देने का मुद्दा उठाया

प्रदेश में सूखे व बाढ़ से दोहरी समस्या की मार झेल रहे किसानों का मुद्दा कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा मोना ने मंगलवार को सदन में उठाया.

ो

By

Published : Aug 9, 2023, 11:35 AM IST

Updated : Aug 9, 2023, 1:26 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के 40 से अधिक जिलों में सूखे और 20 से ज्यादा जिलों में बाढ़ की स्थिति को लेकर मानसून सत्र के दौरान गंभीर चर्चा का आगाज हो गया है. विधानसभा के मानसून सत्र में विधानमंडल में कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा मोना ने बाढ़ एवं सूखे से प्रभावित किसानों व अन्य पीड़ितों को मुआवजा देने का मुद्दा उठाया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सदन के पहले ही दिन घोषणा कर चुके थे कि इस मुद्दे पर बहस हो सकती है.



नियम 56 के अंतर्गत कांग्रेस विधानमंडल नेता आराधना मिश्रा मोना के द्वारा दी गई नोटिस पर सरकार और विधानसभा अध्यक्ष ने चर्चा की मांग को स्वीकार किया. उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने प्रदेश में अनियमित वर्षा के कारण कहीं बाढ़ और कहीं सूखा की गंभीर समस्या से पीड़ित किसानों का मुद्दा विधानसभा में उठाया. साथ ही बाढ़ और सूखे दोनों से प्रभावित किसानों एवं अन्य पीड़ितों को सरकार से मुआवजा देने की मांग की. इस महत्वपूर्ण विषय पर सदन में चर्चा करने की भी मांग की. जिस पर सरकार व विधानसभा अध्यक्ष नियम 56 के अंतर्गत चर्चा करने को तैयार हुए. अमूमन नियम 56 के अन्तर्गत सरकार चर्चा को तैयार नहीं होती है, लेकिन कांग्रेस नेता की मांग पर सरकार एवं मुख्यमंत्री चर्चा को तैयार हुए.

विधानसभा में आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि 'किसान अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और अपने परिश्रम से पूरे देश का पेट भरते हैं. प्रदेश में अनियमित वर्षा की वजह से किसान, कहीं बाढ़ एवं कहीं सूखा दोनों की मार को झेल रहा है. प्रदेश में 41 जनपद ऐसे हैं जहां जून से अब तक बारिश बहुत कम हुई है, जिसकी वजह से खरीफ फसल की रोपाई तय लक्ष्य से बहुत पीछे है, तो कहीं बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है. हमारी मांग है कि जहां कम बारिश हुई है वहां सूखाग्रस्त घोषित करने, तथा बाढ़ से हुई क्षति से पीड़ित किसानों को मुआवजा दिया जाए.'

यह भी पढ़ें : 'मिट्टी को नमन-वीरों का वंदन' करते हुए मनाया जाएगा स्वाधीनता दिवस, जानिए क्या है तैयारी

आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि 'प्रदेश में रुहेलखंड धान उत्पादन में अग्रणी क्षेत्र है, लेकिन कम वर्षा के कारण पीलीभीत और पूर्वांचल के संत कबीर नगर, मऊ, मिर्जापुर, देवरिया, कुशीनगर, कौशांबी ऐसे जिले हैं. जहां 99 फ़ीसदी तक कम बारिश हुई है. जिसकी वजह से धान की रोपाई नहीं हो पा रही है और 33 जिले जो पूर्वांचल से लेकर मध्य उत्तर प्रदेश, अवध क्षेत्र तक आते हैं, जहां भी वर्षा काफी कम हुई है. जिसकी वजह से खरीफ में तय लक्ष्य 96.20 लाख हेक्टेयर के मुकाबले मात्र 78.71 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में ही बोआई हो सकी है. इस साल धान का रकबा 58.50 लाख हेक्टेयर रखने का लक्ष्य था जो 27 जुलाई तक मात्र 50.35 लाख हेक्टेयर तक की हासिल किया जा सका है. जिसका कारण जलाशयों में पानी की भारी कमी है. सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में स्थित 71 जलाशयों की कुल पानी की क्षमता 10883.67 एमसीएम है, लेकिन इन जलाशयों में पानी की उपलब्धता मात्र 2868.41 एमसीएम ही है, जिस वजह से सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी की पूर्ति नहीं हो पा रही है.

यह भी पढ़ें : 'मिट्टी को नमन-वीरों का वंदन' करते हुए मनाया जाएगा स्वाधीनता दिवस, जानिए क्या है तैयारी
Last Updated : Aug 9, 2023, 1:26 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details