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यूपी उर्दू एकेडमी पर बड़ा इल्जाम, गृह जनपद के लेखकों पर अध्यक्ष मेहरबान - उर्दू स्कॉलर मोहम्मद उजैर आलम

उर्दू अदब से जुड़े लोगों का इल्जाम है कि एकेडमी ने साल 2020 की अवार्ड लिस्ट जारी की है, जिसमें काबिल और अर्वाड के हकदार लोगों को नजरअंदाज कर एकेडमी के सद्र ने मनमाने तरीके से अपने गृह जिले के लेखकों का नाम शामिल किया है.

यूपी उर्दू एकेडमी पर बड़ा इल्जाम
यूपी उर्दू एकेडमी पर बड़ा इल्जाम

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Published : Dec 31, 2021, 12:27 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की ओर से 2020 के पुरस्कारों की सूची को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. उर्दू एकेडमी की कमिटी पर आरोप लग रहे हैं कि 2019 की पुरस्कारों की सूची न जारी करके सीधे 2020 के पुस्कारों की सूची मनमाने तरीके से जारी कर दी गई है. जिस पर अब उर्दू के जानकार ही सवालिया निशान खड़े करते नजर आ रहे हैं. यही नहीं उर्दू एकेडमी पर आरोप यहां तक लग रहे हैं कि 2020 की सूची में सबसे ज्यादा नाम चेयरमैन के गृह जनपद के लोगों के शामिल किए गए हैं.

उर्दू एकेडमी पर मनमाने ढंग से काम करने का आरोप

उत्तर प्रदेश में उर्दू भाषा को दूसरी जुबान का दर्जा प्राप्त है. उर्दू भाषा सूबे के साथ देश व विदेशों में भी काफी प्रचलित है. जिस को बढ़ावा देने के लिए यूपी में 1972 में उर्दू एकेडमी का गठन हुआ था. उर्दू एकेडमी का मकसद उर्दू भाषा को बढ़ावा देना और उर्दू भाषा से जुड़े लोगों को बढ़ावा देना है. जिसके लिए सरकार सालाना बजट भी मुहैया कराती है. लेकिन यूपी उर्दू एकेडमी के मनमाने तरीके पर अब उर्दू के जानकार ही सवालिया निशान खड़े करते नजर आ रहे हैं. उर्दू के जानकारों का कहना है कि उर्दू भाषा से जुड़े लोगों को तरजीह न देकर उर्दू की नई कमेटी अपनों के विकास में जुटी हुई है.

यूपी उर्दू एकेडमी पर बड़ा इल्जाम

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इल्जाम लग रहे हैं कि उर्दू एकेडमी के चेयरमैन चौधरी कैफुल वरा अपने गृह जनपद के लोगों को मनमाने ढंग से बढ़ावा देने के लिए पुरस्कारों की सूची में नाम जोड़ रहे हैं, जिस पर अब उर्दू जुबान से जुड़े कई वरिष्ठ लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. उर्दू स्कॉलर मोहम्मद उजैर आलम और उर्दू के वरिष्ठ जानकार फहीम सिद्दीकी ने उर्दू एकेडमी के मनमाने रवैए पर कड़ा एतराज जताते हुए सख्त नाराजगी का इजहार किया है.

यूपी उर्दू एकेडमी पर बड़ा इल्जाम

उनका कहना है कि सरकार ने उर्दू एकेडमी का गठन करके बेहतरीन काम किया है और उर्दू जुबान को बढ़ावा देने के लिए बेहतर कदम उठाए हैं. लेकिन उर्दू एकेडमी के मनमाने रवैया से उर्दू के चाहने वालों में बेहद मायूसी है. उर्दू के विद्वानों का कहना है कि विशेषता और वरीयता की परवाह किए बिना 2020 के पुरस्कारों की सूची जारी कर दी गई है, जिस पर सरकार को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए.

गौरतलब है कि इससे पहले भी उर्दू एकेडमी की ओर से वितरीत होने वाले पुरस्कारों पर विवाद खड़ा हो चुका है. जिस पर उर्दू अकादमी की पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री आसिफा जमानी को काफी फजीहत का सामना करना पड़ा था. ऐसे में एक बार फिर से उर्दू एकेडमी के मनमाने रवैये पर विवाद गहराता जा रहा है. ईटीवी भारत ने भी जब एकेडमी के जिम्मेदारों से इस विषय पर सम्पर्क साधना चाहा तो कमिटी के जिम्मेदारों ने कोई जवाब नहीं दिया.

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