लखनऊ: यूपी परिवहन विभाग के प्रवर्तन अधिकारी अक्सर वाहन चेकिंग अभियान के दौरान यह कहकर डग्गामार वाहनों का चालान करके छोड़ देते हैं कि थानों में ऐसे वाहन बंद करने के लिए जगह ही नहीं है. इसी वजह से प्रदेश भर में परिवहन थाने खोलने का प्रस्ताव भी परिवहन विभाग ने बनाया था, लेकिन परिवहन थाने नहीं खुल पाए हैं. फिर भी अब प्रवर्तन अधिकारियों का डग्गामार वाहनों को बंद करने को लेकर कोई बहाना नहीं चलेगा. हरहाल में ऐसे डग्गामार वाहन बंद ही करने पड़ेंगे, क्योंकि अब परिवहन विभाग ने एक आदेश जारी कर दिया है कि रोडवेज के वर्कशॉप और बस स्टेशनों के अंदर पकड़कर अनाधिकृत बसों को बंद किया जाए. किसी भी कीमत पर बसों को छोड़ा न जाए.
वाहन चेकिंग अभियान के दौरान अक्सर परिवहन विभाग के प्रवर्तन दस्ते अनाधिकृत रूप से संचालित होते और परिवहन विभाग के नियमों का उल्लंघन करने वाली बसों का चालान करके छोड़ देते हैं. इसके पीछे तर्क ये देते हैं कि थानों में वाहन बंद करने के लिए जगह ही नहीं है. विभागीय सूत्र बताते हैं कि चालान करने की कार्रवाई और अवैध बसें बंद न करने के पीछे दरअसल कमीशनखोरी का खेल होता है, क्योंकि जब वाहन थाने में बंद होगा तो खर्च भी ज्यादा लगेगा और वाहन मालिक की टेंशन भी बनेगी, लेकिन चालान करने पर खर्च कम हो जाएगा और फिर से वाहन सड़क पर संचालित होने लगेगा. इसी खेल पर रोक लगाने के लिए परिवहन विभाग की तरफ से एक आधार आदेश जारी किया गया है जिसके तहत अनाधिकृत बसों को हरहाल में विभागीय नियमों का उल्लंघन करने पर बंद ही करना पड़ेगा. इसके लिए परिवहन निगम की कार्यशालाओं के साथ ही बस स्टेशन पर बसें खड़ी की जा सकेगी. इस आदेश के बाद अब प्रवर्तन टीमों को मजबूरन बसों को बंद करना भी पड़ रहा है.