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यूपी STF के हत्थे चढ़े फर्जी शिक्षक भर्ती करने वाले 3 सरगना, अब तक 100 को दे चुके हैं नियुक्ति पत्र - परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज

यूपी एसटीएफ ने प्रयागराज ज‍िले में टीजीटी-पीजीटी व टीईटी की परीक्षा में सांठगांठ कर फर्जी भर्ती कराने वाले वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. ये कई लोगों को भर्ता कराने में कामयाब भी हो चुके हैं.

सॉल्वर गैंग गिरफ्तार
सॉल्वर गैंग गिरफ्तार

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Published : Sep 17, 2021, 9:26 PM IST

लखनऊ:यूपी एसटीएफ (UP STF) ने फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति एवं सॉल्वर गैंग के परीक्षा केंद्र का मैनेजमेंट और प्रतियोगी परीक्षाओं का रिजल्ट तैयार करने वाली कंपनी से सांठ-गांठ कर टीजीटी/पीजीटी समेत टीईटी के माध्यम से भर्ती कराने वाले गिरोह का सरगना समेत तीन लोगों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. फर्जी शिक्षक और उसका एक साथी प्राइमरी शिक्षक के रूप में कार्य कर रहा है. परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज के कार्यालय के कर्मचारी की मिलीभगत के प्रमाण भी मिले हैं. एसटीएफ ने पकड़े गए आरोपियों की पहचान रामविलास उर्फ राम भैया (फर्जी जूनियर हाईस्कूल शिक्षक), संजय सिंह (डाटा सॉफ्ट कंप्यूटर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड का प्रोडक्शन मैनेजर) व रविंद्र कुमार उर्फ रवि (फर्जी शिक्षक प्राथमिक विद्यालय) बनकटा देवरिया के रूप में कराई है. आरोपियों के पास से एडमिट कार्ड, एप्लीकेशन फॉर्म, ई-स्टैम्प व मार्कशीट समेत भारी मात्रा में सामान भी बरामद किया गया है. इसके बाद आरोपियों को विभूति खंड थाने में दाखिल कर आगे की कार्रवाई की जा रही है.


एसटीएफ ने बताया कि जनपद देवरिया में विनय तिवारी व कुशीनगर से मनीष यादव फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर प्राइमरी अध्यापक के रूप में तैनात हैं. जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अनुचित तरीके से अभ्यर्थियों को नियुक्त कराने का काम करते हैं. साल 2016 में हुई 15 हजार प्राथमिक विद्यालय शिक्षकों की भर्ती के लिए रामविलास ने इन्हें अपने 15 कैंडिडेट दिए थे. वह प्रति कैंडिडेट से एक लाख के दर से कुल 9000000 रुपये भी दिए थे. इसके सभी 15 कैंडिडेट की जनपद देवरिया में इन के माध्यम से जॉइन भी हो गए, लेकिन कुछ माह बाद उन्हें फर्जी रूप से नियुक्त बता कर निकाल दिया गया. जिसके बाद से वे सभी रामविलास पर पैसा वापसी का दबाव बनाने लगे. साल 2017 में 68500 व साल 2018 में 69,000 प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में रामविलास व रविंद्र ने अपने कैंडिडेट भर्ती कराने का पुनः प्रयास किया और अपने सभी कैंडिडेट भर्ती भी करा दिया. इन दोनों वर्षों की प्राइमरी शिक्षकों की चयन प्रक्रिया से संबंधित समस्त विवरण विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध था, जिसे कोई भी देख सकता था. वेबसाइट देखने से यह पता चला कि कई अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिनका साल 2017 व 18 दोनों में चयन हुआ है. एक चयन प्रक्रिया में उन्होंने अपनी ज्वाइनिंग तथा दूसरी चयन प्रक्रिया का पद रिक्त हो गया.

एसटीएफ ने बताया गया कि इस प्रकार रामनिवास ने अपने साथी रविंद्र कुमार की मदद से जनपद हरदोई में 9, इटावा में 10, अमेठी में 5, गोंडा में 1, बलरामपुर में 1, औरैया में 1, जालौन में 9, श्रावस्ती में 8 तथा सीतापुर, हाथरस व प्रयागराज जनपदों में लगभग 100 से अधिक प्राथमिक शिक्षकों को फर्जी रूप से नियुक्त कराया और करोड़ों रुपए कमाए. विभिन्न वर्षो में नियुक्त फर्जी शिक्षकों का सत्यापन नियुक्ति पत्र द्वारा परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के स्तर से कराया जा रहा था. फर्जी शिक्षकों को बेसिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट व अन्य माध्यमों से चिन्हित कर सत्यापन प्रक्रिया को रामनिवास द्वारा सुलभ बनाते हुए संबंधित फर्जी शिक्षकों से काफी धनराशि वसूली.

इस कृत्य में परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के लिपिक नरेंद्र कनौजिया से सांठ-गांठ कर सत्यापन प्रक्रिया पूर्ण कराई, जिसके बदले लिपिक नरेंद्र ने प्रति कैंडिडेट 50 हजार रुपये रामनिवास से प्राप्त किए. इस कार्य में परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय प्रयागराज के कई अन्य कर्मियों से भी सहयोग लेता रहा. इसके अतिरिक्त एलजीटी/ पीजीटी परीक्षा की आंसर के माध्यम से भी अपने कई कैंडिडेट को इन परीक्षाओं में पास करवाया. रामनिवास ने अपने साथी नीरज की मदद से सॉल्वर बैठा कर भी कुछ कैंडिडेट पास कराए. साल 2021 में हुई टीजीटी-पीजीटी परीक्षा में अधिक सख्ती होने के कारण आंसर के माध्यम से व सॉल्वर के माध्यम से अपने कैंडिडेट का काम नहीं करा सका. रामनिवास के साथी जितेंद्र ने उसकी मुलाकात डाटा सॉफ्ट कंप्यूटर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली के मैनेजर संजय सिंह से कराई तथा यह भी बताया कि इन परीक्षाओं का रिजल्ट तैयार करने वाली कंपनी के लोगों से उनके संबंध है. इसलिए ओएमआर शीट चाहे खाली अथवा भरी हो दोनों स्थितियों में मैनेज कर रिजल्ट में पास करवा देंगे.

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रामनिवास द्वारा व्हाट्सएप के माध्यम से 34 टीजीटी कैंडिडेट की सूची रविंद्र सिंह के माध्यम से संजय को भेजी गई. तो उसने बताया कि इसमें से मात्र 26 कैंडिडेट ही हो सकते हैं अतः संशोधित सूची भेजने को कहा. 26 कैंडिडेट की सूची भेजने के बाद दिल्ली में संजय से कई बार मुलाकात होने पर प्रति कैंडिडेट 7 लाख की दर से उसके द्वारा पैसे की मांग की गई. 5 लाख रुपये एडवांस राम निवास द्वारा देने पर 17 सितंबर को लखनऊ में संजय द्वारा मिलने व इन्फोलिंक कंपनी के किसी अधिकारी से मुलाकात कराने की बात कही थी.

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