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258 कछुओं के साथ तीन तस्कर गिरफ्तार, यूपी एसटीएफ व वन विभाग ने दबोचा - लखनऊ क्राइम न्यूज

यूपी एसटीएफ (UP STF) की टीम ने अंतर्राज्यीय कछुआ तस्कर गिरोह के तीन तस्करों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से 258 कछुए, मोबाइल, बाइक व एटीएम समेत करीब दो हजार रुपये बरामद हुए हैं.

कछुआ तस्कर गिरफ्तार
कछुआ तस्कर गिरफ्तार

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Published : Nov 21, 2021, 10:07 PM IST

लखनऊ : यूपी एसटीएफ (UP STF) की टीम ने रविवार को अंतर्राज्यीय कछुआ तस्कर गिरोह के तीन तस्करों को गिरफ्तार किया है. इनकी गिरफ्तारी लखनऊ के मुंशी पुलिया मेट्रो स्टेशन के पास हुई. एसटीएफ के उपाधीक्षक लखनऊ दीपक कुमार सिंह के मुताबिक इटावा, मैनपुरी व आस-पास के जनपदों से अवैध रूप से कछुओं की तस्करी की सूचना मिली थी. जिसके बाद विशेष कार्रवाई करते हुए इन कछुआ तस्करों को गिरफ्तार कर लिया गया. ये व्यापारी खासकर कछुओं की तस्करी के लिए पश्चिम बंगाल के व्यापारियों के संपर्क में रहते थे.

मामले में दीपक कुमार सिंह ने बताया कि कछुओं की अवैध तस्करी को लेकर यूपी एसटीएफ (UP STF) लखनऊ को लगातार सूचना मिल रही थी. जिसके बाद पुख्ता जानकारी के लिए मुखबिरी भी कराई गई. रविवार को सूचना मिली कि सुलतानपुर से कुछ तस्कर लखनऊ आकर किसी व्यापारी को कछुए देने वाले हैं.

इस सूचना पर उपाधीक्षक दीपक कुमार सिंह ने एसटीएफ एसआई शिवेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक टीम गठन किया. जिसके बाद लखनऊ निवासी रविन्द्र कश्यप, सौरभ कश्यप समेत सुल्तानपुर निवासी मोहम्मद अरमान को गिरफ्तार कर लिया. इनके पास से 258 कछुए, तीन मोबाइल, दो वोटर आईडी कार्ड, दो पैन कार्ड, एक बाइक व एटीएम समेत दो हजार चार सौ रुपये बरामद हुए हैं.

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आरोपी रविन्द्र ने बताया कि वो बीते कई वर्षों से कछुओं की तस्करी कर रहे हैं. कई जनपदों से मछुआरों से संपर्क कर उनसे कछुए खरीदते थे. इसके बाद चेन्नई, पश्चिम बंगाल जैसे कई महानगरों में बेचते थे. वहीं एसटीएफ उपाधीक्षक दीपक कुमार सिंह ने बताया कि केवल भारत में नहीं बल्कि वेस्ट बंगाल के रास्ते ये कछुए बांग्लादेश व म्यांमार तक भेजे जाते थे.

महंगे दामों में बिकती है कछुओं कि यह प्रजाति-

उपाधीक्षक दीपक कुमार ने बताया कि पूरे भारत में कछुओं की 29 प्रजातियां पाई जाती हैं. जिसमें से 15 प्रजातियां उत्तर प्रदेश में पाई जाती हैं. इन 15 प्रजातियों में से 11 प्रजातियों की उत्तर प्रदेश में तस्करी की जाती है. इन कछुओं को अवैध रूप से मांस के लिए, जिंदा पालने के लिए या इनकी चर्बी के लिए कई जनपदों से तस्करी की जाती है. इनकी तस्करी भी महंगे दामों में होती है. इन प्रजाति के कछुओं में हार्ड शेल व सॉफ्ट सेल दोनों ही मौजूद होते हैं. इन प्रजाति के कछुए औषधि बनाने के लिए भी बहुत काम आते हैं, जिसमें इनकी चर्बी का प्रयोग किया जाता है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार की डब्ल्यूसीसीबी के पहल से एसटीएफ लखनऊ को यह कामयाबी मिली है.

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