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लखनऊ में हो रहा था बिटकॉइन के जरिए नशे का कारोबार, तस्कर डार्क वेब से ढूंढते थे कस्टमर - bitcoin currency

यूपी एसटीएफ ने लखनऊ से ऑनलाइन नशीली दवाओं का कारोबार करने वाले गैंग को पकड़ा है. एसटीएफ ने गैंग के सरगना समेत 6 को गिरफ्तार किया है.

नशीली दवाएं बेचने वाले तस्कर गिरफ्तार
नशीली दवाएं बेचने वाले तस्कर गिरफ्तार

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Published : Sep 7, 2022, 7:53 PM IST

लखनऊ: क्रिप्टोमनी के जरिए नशीली दवाओं की खरीद-फरोख्त करने वाले गैंग का यूपी एसटीएफ ने खुलासा किया है. यह गैंग लखनऊ में बैठकर इंटरनेट के सहारे काला कारोबार करता था. गैंग के सरगना समेत 6 आरोपियों को एसटीएफ की टीम ने लखनऊ के आलमबाग से गिरफ्तार किया है. सभी आरोपी लखनऊ के ही रहने वाले हैं, इन सभी के पास से भारी मात्रा में प्रतिबंधित दवाएं बरामद की गईं हैं. यह गैंग डार्कवेब से भारत व अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों का डेटा प्राप्त करके वर्चुअल मनी बिटकॉइन के माध्यम से नशीली दवाईयों की खरीद-फरोख्त करता था.

कॉल सेंटर की सह में बेचते थे नशीली दवाएं
डिप्टी एसपी एसटीएफ दीपक कुमार ने बताया कि नशे के कारोबार के खिलाफ चल रहे अभियान के तहत उनकी टीम ड्रग्स पैडलर के तलाश कर रही थी. उन्हें सूचना मिली थी कि शाहबाज अपने साथियों के साथ आलमबाग स्थित किराए के कमरे में कुछ दवाइयों के सैम्पल लेकर खरीद-फरोख्त कर रहा है. आरोपी यह नशीली दवाइयों की खरीद-फरोख्त के लिए कॉल सेंटर चला रहा है. एसटीएफ की टीम ने छापेमारी करके गैंग का सरगना शाहबाज व उसके साथी आरिज एजाज, गौतम लामा, शारिब एजाज, जावेद खान, सऊद अली को गिरफ्तार कर लिया.

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डार्क वेब से ढूंढते थे कस्टमर
एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी शाहबाज ने बताया कि वह लोगों का प्रतिबंधित दवाएं बेचने का एक अन्तर्राष्ट्रीय गिरोह चलाते हैं. इस कारोबार के लिए कस्टमर का डेटा डार्क वेब के जरिए निकाला जाता था. इसके बाद लोगों से व्हाट्सअप के जरिए बात की जाती थी. व्हाट्सप से ही लोगों की डिमांड पूछी जाती थी, उसके बाद दवाइयों को मंगवाकर उन्हें उपलब्ध कराया जाता था. दवा का पैसा बिटकॉइन या पे-पाल के माध्यम से प्राप्त किया जाता था. पैसा मिलने के बाद ही कस्टमर के बताए पते पर दवाइयों का पार्सल भेजा जाता था. पूछताछ में गैंग के सरगना शाहबाज ने बताया कि वह नशीली व प्रतिबंधित दवाओं को चोरी से ऑन लाइन माध्यम से भारत सहित दुनिया के कई देशों में बेचते थे. उन्हें प्रति आर्डर अच्छा खासा मुनाफा होता है. शाहबाज ने बताया कि दवाएं बेचकर होने वाले मुनाफे को सभी सदस्य आपस में बांट लेते थे.

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