लखनऊ: कोरोना से उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की हालत खस्ता होती जा रही है. इसी तरह अगले माह तक स्थिति और यही रही तो रोडवेज को अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक के लिए सोंचना पड़ जाएगा. वजह है कि वर्तमान में बसों का संचालन काफी कम संख्या में हो रहा है, ऐसे में रोडवेज के पास आय का कोई अन्य जरिया नहीं बचा है. उस पर पिछली बार जब सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए मुफ्त में बसें उपलब्ध कराई थीं तो इसका पूरा भुगतान भी अब तक नहीं हुआ है. अभी भी परिवहन निगम की करीब 348 करोड़ से ज्यादा की धनराशि सरकार के पास फंसी हुई है. इस तरफ रोडवेज प्रशासन कोई प्रयास नहीं कर रहा है और शासन सांस नहीं ले रहा है.
बकाया हैं 348 करोड़ रुपये
परिवहन निगम ने पिछले साल उत्तर प्रदेश सरकार के कहने पर प्रवासी श्रमिकों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए मुफ्त में रोडवेज बसों का संचालन किया था. इससे रोडवेज का प्रदेश सरकार पर 648 करोड़ रुपये का भुगतान बाकी हो गया था. तत्कालीन प्रबंध निदेशक राजशेखर ने प्रयास किया तो 300 करोड़ रुपये सरकार ने रोडवेज प्रशासन को दे दिए, लेकिन इसके बाद एमडी राजशेखर का तबादला हो गया. देखते ही देखते फिर से कोरोना की दूसरी लहर आ गई. ऐसे में परिवहन निगम को अन्तर्राजीय बस सेवाएं बंद कर देनी पड़ीं, जिससे बड़ी समस्या खड़ी हो गई.