लखनऊ : अनुबंधित बसों के मालिकों को अपना परिचालक रखने की अनुमति न दी जाए. परिवहन निगम के प्रत्येक क्षेत्र के किसी डिपो में बाहरी व्यक्ति को बसों की मरम्मत या खराबी ठीक करने की अनुमति न हो. अवशेष महंगाई भत्ते की किस्त देय तिथि से तत्काल भुगतान कराई जाए. संविदा चालक परिचालकों की नियमित नियुक्त अभिलेखीय आधार पर की जाए. आउटसोर्स तकनीकी कर्मचारियों को परिवहन निगम से आबद्ध किया जाए और उनका पारिश्रमिक बढ़ाया जाए. मृतक आश्रितों की नियमित नियुक्ति तत्काल की जाए. रोडवेज का निजीकरण किसी भी कीमत पर न किया जाए. इसी तरह की मांगों को लेकर गुरुवार को यूपी रोडवेज इंप्लाइज यूनियन ने चारबाग बस स्टेशन पर आम सभा आयोजित की. इस सभा में यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष बीडी मिश्रा, प्रांतीय महामंत्री तेज बहादुर शर्मा, क्षेत्रीय अध्यक्ष सुभाष वर्मा और शाखा अध्यक्ष प्रदीप पांडेय समेत अनेक पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित रहे.
यूपीएसआरटीसी को निजीकरण के रास्ते पर बढ़ाने का आरोप :इस मौके पर प्रांतीय महामंत्री तेज बहादुर शर्मा ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन पर यूपीएसआरटीसी को निजीकरण के रास्ते पर बढ़ाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि 'जिस तरह से परिवहन निगम की कार्यशालाओं को प्राइवेट हाथों में दिया जा रहा है. बोर्ड बैठक में ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं. वह सीधे तौर पर निजीकरण की तरफ बढ़ने का रास्ता है. हम ये बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगे. परिवहन निगम को ऐसे फैसले बिल्कुल नहीं करने चाहिए. इसके अलावा अब प्राइवेट बस ऑपरेटरों को अपने परिचालक भी रखने की अनुमति दे दी गई है जो बिल्कुल भी सही नहीं है. इस पर तत्काल रूप से रोक लगाई जानी चाहिए. इसका हम विरोध करते हैं. हमारी यूनियन इसके लिए संघर्ष कर रही है. उन्होंने कहा कि जब भी ठेके पर कोई व्यवस्था दी गई है तो उसमें कभी सुधार नहीं हुआ है, बल्कि नुकसान ही हुआ है. इसका सीधा उदाहरण लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की बसों को लेकर दिया जा सकता है, जो लो फ्लोर बसें आई थीं उनके मेंटेनेंस का ठेका प्राइवेट कंपनी को दिया गया था. सब बर्बाद कर दिया. उसके बाद जब आउटसोर्सकर्मी रखे गए तब व्यवस्था दुरुस्त हुई. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि निजीकरण से परिवहन निगम का नुकसान ही होगा, फायदा नहीं हो सकता.'
'परिवहन निगम के निजीकरण पर रोक नहीं लगाई तो करेंगे आंदोलन' :इस मौके पर प्रांतीय अध्यक्ष बीडी मिश्रा ने कहा कि 'अगर कर्मचारियों से संबंधित समस्याओं का समाधान नहीं किया गया और परिवहन निगम के निजीकरण पर रोक नहीं लगाई गई तो प्रदेश भर में हमारी यूनियन के सदस्य एक साथ उतरकर आंदोलन करेंगे. हमें किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं है कि परिवहन निगम का निजीकरण हो. धीरे-धीरे अधिकारी इसी व्यवस्था की तरफ बढ़ रहे हैं जो बर्दाश्त करने लायक नहीं है.'