लखनऊ: उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) ने अंसल बिल्डर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. सुल्तानपुर रोड पर अंसल बिल्डर के दो प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है. इन परियोजनाओं असंल एपीआई रेरा पॉकेट टू, सेक्टर पी व यूपीआरथ्रीएपीआरजे 7122 और असंल एपीआई, पॉकेट टू, सेक्टर जे, सुशांत गोल्फ सिटी, लखनऊ यूपीआरईआरएपीआरजे 9594 हैं. यूपी रेरा ने नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर परियोजनाओं को निरस्त करने का फैसला लिया है. इसके अलावा एक अन्य प्रोजेक्ट के बचे विकास कार्य को पूरा करते हुए पूर्णत: प्रमाण पत्र रेरा की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया है.
यूपी रेरा चेयरमैन ने दी जानकारी
यूपी रेरा के अध्यक्ष राजीव कुमार ने बताया कि पंजीयन के निरस्तीकरण की कार्रवाई एकत्रित की गई जानकारी, साइट निरीक्षण, रेरा में दर्ज शिकायत और रेरा अधिनियम का पालन नहीं करने पर की गई है. प्राधिकरण ने पहले भी सख्त चेतावनी दी थी. रेरा ने अंसल एपीआई, पॉकेट-2, सेक्टर पी व जे, सुशांत गोल्फ सिटी प्रोजेक्ट को निरस्त करने से पहले प्रोजेक्ट निरीक्षण किया. रेरा में दर्ज शिकायतों और रेरा अधिनियम के प्रावधानों का पालन न करने के आधार पर यह फैसला लिया. बार-बार जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दिया गया. यूपी रेरा के चेयरमैन का कहना है कि इस कार्रवाई से दूसरे लोगों को कड़ा संदेश जाएगा.
अंसल ने की हैं गंभीर अनियमितता
यूपी रेरा के चेयरमैन ने बताया कि निरस्तीकरण के पश्चात होने वाली प्रक्रिया के लिए राज्य सरकार से परामर्श लिया जाएगा. प्रोजेक्ट में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं बरती गई हैं. करीब 606 करोड रुपये का घपला किया गया है. यह पैसा प्रोजेक्ट के खातों से निकाल कर दूसरे उद्देश्यों के लिए डायवर्ट किया गया है. ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि निवेशकों से पैसा ले लिया गया और आवंटन नहीं किया गया है, जिन लोगों को घरों के आवंटन किए गए, उनके साथ किए गए एग्रीमेंट का उल्लंघन किया गया है.
संसाधनों और धन का जमकर हुआ कुप्रबंधन
रेरा चेयरमैन राजीव कुमार ने बताया कि जब परियोजनाओं का फॉरेंसिक ऑडिट करी एंड ब्राउन से करवाया गया तो पता चला कि एसक्रो अकाउंट में भी गड़बड़ी की गई है. अर्धवार्षिक प्रोजेक्ट अकाउंट के प्रबंधन में डेवलपर ने रेरा अधिनियम के नियमों का पालन नहीं किया है. प्रमोटर ने परियोजनाओं को चरणबद्ध तरीके से विकसित नहीं किया है. परियोजना का अनियमित रूप से और गलत ढंग से विस्तार किया गया, जिसकी वजह से संसाधनों और धन का कुप्रबंधन हुआ. यही वजह है कि परियोजना को पूरा करना चुनौती बन गया है. कुछ ऋण समझौतों में प्रमोटर ने न केवल परियोजना की जमीन को गिरवी रख दिया, बल्कि परियोजना से प्राप्त आय को भी सीमित कर दिया है. फॉरेंसिक ऑडिटर को यह भी पता चला कि परियोजना में काफी पैसा था, जिसे परियोजना के पूरा होने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए था.
1.61 करोड़ का जुर्माना भी लगाया
अंसल एपीआई पॉकेट-3 सेक्टर ए के मामले में बिल्डर को एक अलग खाते में तीन महीने के भीतर 9.4 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया है. इस रकम से दूसरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. बिल्डर पर रेरा अधिनियम की धारा 4, 11 और 14 सपठित धारा 38 व 61 के उल्लघंन करने पर 161.65 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जो कि परियोजना की कुल लागत का पांच फीसदी है.