लखनऊ : इन दिनों पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की सरगर्मी तेज है. लोकसभा चुनावों से पहले यह बड़े चुनाव हैं और इसके नतीजों का सभी दलों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी जरूर पड़ेगा. हालांकि उत्तर प्रदेश में ज्यादातर राजनीतिक दल धीरे-धीरे चुनावी मोड में आते जा रहे हैं. सबसे अधिक अस्सी लोकसभा सीटों वाला उप्र राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है. यहां से बड़ी जीत हासिल करने वाले दल की आगे की राह आसान हो जाती है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल अधिक प्रतिनिधित्व को लेकर दबाव बढ़ाने लगे हैं. देखना होगा कि भाजपा इससे निपटने के लिए क्या रणनीति अपनाती है.
प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन अपना दल (सोनेलाल), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी सुभासपा और निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल यानी निषाद पार्टी के साथ है. सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर 2022 के विधानसभा चुनावों में सपा के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरे थे, लेकिन यह गठबंधन कुछ दिन बाद ही टूट गया. इससे पहले राजभर भाजपा के साथ गठबंधन में थे और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे. राजभर भाजपा के साथ जब पहली बार गठबंधन में थे, तो अपने बेटों के समायोजन को लेकर लगातार दबाव बना रहे थे, लेकिन भाजपा ने उनकी नहीं सुनी. वह चाहते थे कि एक बेटे को भाजपा विधान परिषद भेज दे और दूसरे को कहीं अन्य जगह पर समायोजित कर ले. इससे पहले 2019 में वह लोकसभा चुनावों में भी भाजपा से दो सीटें मांग रहे थे, लेकिन भाजपा ने उनकी बात नहीं सुनी. अब ओम प्रकाश राजभर दोबारा भाजपा के साथ आ चुके हैं और लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के लिए सीटें जरूर मांगेंगे. भाजपा इस बार क्या रुख अपनाती है,यह देखने वाली बात होगी. विधानसभा चुनावों में सुभासपा छह सीटें जीतने में कामयाब रही थी.
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भाजपा का प्रदेश में दूसरा सहयोगी दल है अपना दल (एस). इस पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में दो सीटें जीती थीं. विधानसभा में भी अपना दल एस की 12 सीटें हैं. भाजपा ने अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल को केंद्र में दोबारा मंत्री बनाया है और उनके पति आशीष पटेल भी प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. सूत्र बताते हैं कि पार्टी आगामी चुनावों में अपने लिए ज्यादा सीटें चाहती है. पार्टी की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल सुलझी हुई नेता हैं और वह बाहर बयानबाजी करने से बचती हैं. फिर भी भाजपा नेतृत्व के सामने वह अपनी पार्टी के नेताओं के लिए ज्यादा सीटें मांगेंगी. माना जा रहा है कि भाजपा की विश्वसनीय सहयोगी होने के कारण भाजपा इस पर विचार भी कर सकती है. गौरतलब है कि अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष हैं और उनका समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन है. अनुप्रिया की बड़ी बहन पल्लवी पटेल समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक हैं. उन्होंने भाजपा के कद्दावर नेता और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को पराजित किया था.