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योगी सरकार के दामन पर 'दाग' लगा रही खाकी

उत्तर प्रदेश में आए दिन पुलिसकर्मियों द्वारा रिश्वत लेने के मामले सामने आ रहे हैं, जिससे योगी सरकार की छवि धूमिल हो रही है. आइये विस्तार से जानतें हैं यूपी पुलिस के कारनामे...

उत्तर प्रदेश पुलिस.
उत्तर प्रदेश पुलिस.

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Published : Aug 11, 2021, 7:17 PM IST

Updated : Aug 13, 2021, 5:21 PM IST

लखनऊःयूपी पुलिस अपने कारनामों से लगातार योगी की जीरो टॉलरेंस नीति पर बट्टा लगा रही है. वर्दीधारी रिश्वत लेकर लगातार महकमे को शर्मसार कर रहे हैं. योगी सरकार की सख्ती के बावजूद सूबे के पुलिस महकमे में घूसखोरी की घटनाएं बढ़ी हैं. अभी हाल ही में लखनऊ के कृष्णानगर में थप्पड़ गर्ल का शिकार हुए कैब चालक सआदत अली के परिचित एटा के एसडीएम की एसयूवी को छोड़ने के एवज में कृष्णानगर कोतवाली के दरोगा ने 10 हजार रुपये घूस ले लिया. घटना के कुछ दिन बाद ही लखनऊ के ही सुशांत गोल्फ सिटी थाना क्षेत्र में एक महिला से घूसखोरी के झगड़े का VEDIO वायरल हुआ. जिसमें अनीता रावत ने सुशांत गोल्फ सिटी अंसल में तैनात सिपाही अवधेश त्रिपाठी पर 40000 की रिश्वत लेकर काम न करने का गंभीर आरोप लगाते हुए सरेराह हंगामा किया. महिला ने DGP से गुहार लगाते हुए सौदा एक लाख रुपये में तय होने की बात कही. हालांकि, मामले में बीती रात पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने सिपाही अवधेश को सस्पेंड कर दरोगा को काकोरी ट्रांसफर कर दिया. इससे पहले मड़ियांव थाना क्षेत्र में दरोगा हरीश चंद्र पर ठेले वाले से उसके बच्चे की तलाश करने के नाम पर 5000 रुपये की घूस का आरोप लगा था. इस मामले अभी तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

संतकबीरनगर में घूसखोर दरोगा को भेजा जेल
इसी तरह 29 जुलाई को संतकबीरनगर के धनघटा थाना पर 10 हजार घूस लेते एंटी करप्शन टीम की गिरफ्त में आए दरोगा राम मिलन यादव को जेल भेजा गया. गिरफ्तार दरोगा के साथ मुखलिसपुर और नाथनगर चौकी पर विजिलेंस टीम को रोकने और दरोगा को छुड़ाने की कोशिश और हाथापाई करने वाले दो एसआई समेत आठ पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज करने के साथ ही उन्हें भी निलंबित कर दिया गया था.

जानें यूपी पुलिस के कारनामे.

चौंकाने वाला है मुरादाबाद पुलिस में भ्रष्टाचार का मामला
वहीं, मुरादाबाद पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार से जुड़े कुछ ऐसे मामले आए हैं, जो चौंकाने वाले हैं. मुरादाबाद के 20 थानों में लगभग 3500 पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई का पिछले एक साल का ब्यौरा खंगाला गया जिसमें एक चौथाई पुलिस कर्मियों का दामन दागदार हैं. बीते एक साल में 720 पुलिस कर्मियों पर अलग-अलग तरह के आरोप लगे हैं. जिले में बीते ढाई सालों में लगभग दो सौ पुलिस कर्मी ऐसे हैं, जिनके द्वारा पीड़ित की फरियाद नहीं सुनी गई. वहीं, कुछ मामलों में रिश्वत मांगने के आरोप लगाए हैं. शिकायत के बाद इन पुलिस कर्मियों को निलंबित करने की कार्रवाई की गई है. वहीं, जिले में तैनात 75 ऐसे पुलिस कर्मी हैं, जिन पर बीते दो साल में थाने में पहुंचे फरियादियों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप है. यूपी में तमाम ऐसी घूसखोरी की घटनाएं रोजमर्रा सुनने को मिलती हैं. मगर, यूपी पुलिस सुधारने के नाम नहीं ले रही. जिम्मेदार अफसर भी कुछ मामलों में कार्रवाई कर और कुछ को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं. सच्चाई तो ये है कि वास्तव में पुलिसकर्मियों को भ्रष्टाचार से दूर रखने के लिए जिम्मेदारों द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जाते. ऐसा तब है जब यूपी की योगी सरकार भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर है. सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचारियों को किसी कीमत पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.


सर्वे में लोगों ने माना, स्थानीय स्तर पर नहीं होती सुनवाई
पिछले वर्ष दुनियाभर में भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (भारत) के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत 9 राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हो पाई. ऐसे में, भ्रष्टाचार पर सख्ती की कमी बनी रहती है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल और लोकल सर्किल के एक ऑनलाइन सर्वे के मुताबिक 45 फीसदी लोगों ने माना कि उन्होंने पिछले एक साल में अपना काम कराने के बदले में रिश्वत दी. ये सर्वे भारत के 11 राज्यों के 34,696 लोगों की राय लेकर तैयार किया गया था. इस सर्वे में अधिकतर लोगों ने कहा कि भ्रष्टाचार के स्थानीय मामलों की कोई सुनवाई नहीं है. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से सरकार ने भ्रष्टाचार व अपराध पर लगाम लगाने का एलान किया था, लेकिन भ्रष्ट व्यवस्था पर लगाम कस पाने में योगी आदित्यनाथ फेल होते दिख रहे हैं.

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भ्रष्टाचार और रिश्वत के आंकड़े बता रहे हकीकत बता दें कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साढ़े चार साल में यूपी में 30 सरकारी अधिकारियों को सश्रम जेल भेजा जा चुका है. इसके साथ 35 पुलिस कर्मी भी गिरफ्तार किए गए हैं. यहीं नहीं, 50 पीसीएस अफसर शिकंजे में लिए गए, वहीं 2100 से ज्यादा अफसर और कर्मचारी सलाखों के पीछे पहुंचे हैं. घूस लेते रंगेहाथ गिरफ्तारी के 43 फीसदी मामलों में पैरवी कर सजा भी दिलाई गई है. एंटी करप्शन ब्यूरो ने 280 लोगों को सलाखों के पीछे भेजा है. साथ ही 45 लाख नगद रुपए भी बरामद किए हैं. भ्रष्टाचार के मामलों में पुलिस कर्मियों पर भी शिकंजा कसा गया है. जिसके तहत रिश्वत लेते रंगे हाथ 35 पुलिस कर्मी और अन्य विभागों के करीब 245 कर्मचारी गिरफ्तार किए गए हैं. एंटी करप्शन विभाग ने पिछले साढ़े चार साल में करीब 660 मामले निस्तारित किए हैं. जिसमें पुलिस विभाग के 222, दूसरे विभागों के 515 और 50 आम लोगों पर भी भ्रष्टाचार को लेकर कार्रवाई हुई है. सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पुलिस के 91 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. वहीं 57 के खिलाफ मुकदमे, 38 के खिलाफ विभागीय कार्यवाही और 28 के खिलाफ अभी जांच जारी है. इन आंकड़ों से पता चलता है कि सीएम योगी सरकारी अधिकारियों पर लगाम कसने में कमजोर साबित हुए हैं.

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भ्रष्टाचार ने देश की जड़ को बना दिया खोखला
पूर्व DG एके जैन का कहना है कि भ्रष्टाचार ने देश की जड़ को खोखला बना दिया है. भ्रष्टाचार पर काबू पाने का कोई मुकम्मल तरीका तो नजर नहीं आता, लेकिन इस दिशा में हम कुछ एहतियाती कदम उठा सकते हैं. लेकिन पहले इस बात को दिमाग से साफ कर लेना चाहिए कि कानून बनाकर इस भ्रष्टाचार पर हम काबू नहीं पा सकते हैं. क्या रिश्वत लेना और देना आज की तारीख में अपराध नहीं? दहेज के खिलाफ कानून नहीं? लेकिन रिश्वत बखूबी चल रहा है. दहेज अब भी लिया जाता है, दिया जाता है. पुलिस है, प्रशासन है, एक मोटा-सा लिखित संविधान है, कोर्ट-कचहरी है. तरह-तरह की जांच एजेंसियां हैं. फिर भी भ्रष्टाचार और अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसे में जब तक खुद में भ्रष्टाचार के खिलाफ नफरत नहीं पैदा होगी. लोग खुद घूस देना और लेना बंद नहीं करेंगे तब तक इस और अंकुश लगाना मुश्किल है.

Last Updated : Aug 13, 2021, 5:21 PM IST

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