लखनऊ :राजधानी में बीते दिनों 90 वर्षीय बुजुर्ग की गला रेतकर हत्या कर दी गई. जुलाई माह में नफीसा फातिमा के सिर पर वारकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया. करीब छह माह पहले 74 साल के रिटायर्ड बैंक अधिकारी की उनके घर में नृशंस हत्या कर दी जाती है. इन तीनों ही मामले में बुजुर्ग घर पर अकेले ही रहते थे. इस तरह की घटनाएं न हों इसके लिए उत्तर प्रदेश में पुलिस ने सवेरा योजना, नमस्ते लखनऊ समेत कई अभियान शुरू किये थे, जो अब गर्त में जा चुके हैं. नतीजतन हर शहर में अब फिर से बुजुर्ग व महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं.
हम भले ही इन तीन घटनाओं के बारे में बात कर रहे हों, लेकिन रोजाना घरों में अकेले रहने वाले बुजुर्गों के घर पर चोरी हो रही है. पार्क या बाजार में टहलने निकलीं बुजुर्ग महिलाओं के साथ चेन स्नेचिंग होती है. बावजूद इसके दर्जनों योजनाओं के होते हुए भी पुलिस ऐसे बुजुर्गों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रही हैं, जो किन्हीं कारणों से घर पर अकेले रहते हैं. बीते वर्षों में कई योजनाएं खास बुजुर्गों और महिलाओं के लिए शुरू की गई थीं, जिनकी शुरुआत तो ढोल नगाड़े के साथ हुई, लेकिन समय बीतते बीतते सभी योजनाएं धराशाई हो गईं.
गर्त में चली गई 'सवेरा योजना' :पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने अप्रैल 2017 को उत्तर प्रदेश में सवेरा योजना की शुरुआत की थी, जिसके तहत घरों में अकेले रहने वाले बुजुर्गों की थानेवार लिस्ट बनानी थी और उसके अनुसार हर बुजुर्ग से बीट के सिपाही को उनका हालचाल लेना था. तत्कालीन डीजीपी सुलखान सिंह का मकसद था कि घर में अकेले रह रहे बुजुर्गों से पुलिस उनकी समस्याएं सुन सके. योजना से प्रभावित होकर दो वर्ष बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस योजना को डायल 112 से भी जोड़ दिया था, जिसके तहत बुजुर्गों से इस योजना में खुद को रजिस्टर करवाने का भी अनुरोध किया गया. जिससे डायल 112 के कर्मी समय समय पर उनसे हलचल लेते रहें, लेकिन तीन वर्षों तक यह योजना चलने के बाद धराशाई हो गई और अब एक भी बुजुर्ग के घर पुलिस झांकने तक नहीं जाती है.
'नमस्ते लखनऊ' की हुई थी शुरूआत :सवेरा योजना की ही तरह मार्च 2020 में गर्मजोशी से तत्कालीन पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे ने 'नमस्ते लखनऊ' की शुरुआत की. यह सवेरा योजना की ही तरह थी, बस फर्क इतना था कि घर की जगह सुबह-सुबह पार्कों में टहलने आने वाले बुजुर्गों व महिलाओं से नमस्ते कर पुलिस को उनका हालचाल पूछना था. कुछ दिन तक तो पुलिस सुबह घने कोहरे में लोगों को रोक-रोक कर नमस्ते बोल रही थी, लेकिन समय बीता और यह भी योजना ठंडे बस्ते में चली गई.