लखनऊ : किसी आपराधिक घटना के होने पर लोग पुलिस के पास जाकर शिकायत करते हैं. जब कोई थाने पर पुलिस अधिकारी को शिकायती पत्र देता है तो पुलिस उसके साथ हुए अपराध की घटना की गंभीरता को देखता है. उसके बाद पुलिस दो तरह के केस दर्ज करती है. जिसमें एक तो प्रथम सूचना रिपोर्ट यानि एफआईआर और दूसरी एनसीआर. एनसीआर, एफआईआर से अलग होती है. आमतौर पर कम ही लोगों को यह पता भी होता है कि थाने में एनसीआर लिखी भी जाती है. ऐसे में आइए जानें क्या होती है एनसीआर और किन किन मामलों में की जाती है दर्ज और एफआईआर से क्यों है अलग.
जानिए क्या होती है एनसीआर : हमारे देश का पुलिस सिस्टम में कानून व्यवस्था को बनाए रखने और अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए थानों का एक महत्वपूर्ण योगदान होता है. इन्हीं थानों में आम लोगों की हर तरह की सुनवाई और अपराधियों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी होती है. यह कार्रवाई जिन नियमों के तहत होती है वह अंग्रेजों द्वारा बनाए गए 1861 पुलिस एक्ट के होती है. इन्हीं कार्रवाई में से एक है नॉन कॉग्निजेबल रिपोर्ट (NCR) जिसे हिंदी में गैर-संज्ञेय अपराध सूचना कहते हैं. यह ठीक प्रथम सूचना रिपोर्ट यानि कि एफआईआर की ही तरह होती है जो किसी अपराध के घटित होने पर थाने में पीड़ित द्वारा दर्ज कराई जाती है. हालांकि यह एफआईआर से अलग होती है.