लखनऊ:उत्तर प्रदेश में चल रही पंचायत चुनाव की प्रक्रिया के अंतर्गत चुनाव कराने के लिए तमाम सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. राजस्व, शिक्षा, आबकारी, पुलिस विभाग सहित तमाम सरकारी विभाग के कर्मचारियों की अलग-अलग चरणों में जिला स्तर पर निर्वाचन प्रक्रिया संपन्न कराने के लिए ड्यूटी लगाई गई है. वहीं जिला स्तर पर लगाई जाने वाली ड्यूटी में कोरोना संकट काल के बावजूद स्वास्थ्य कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगा दी गई है. इनमें तमाम फार्मेसिस्ट भी शामिल हैं तो अन्य स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. जिसको लेकर स्वास्थ्य कर्मचारियों ने नाराजगी जताई है. यूपी फार्मासिस्ट फेडरेशन व राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने भी इसको लेकर ड्यूटी निरस्त करने की मांग की है.
स्वास्थ्य कमर्चारियों की चुनाव में ड्यूटी लगाने से प्रभावित होती हैं सेवाएं
कोविड-19 संकट के समय में लोगों को इलाज मुहैया कराने के समय स्वास्थ्य कर्मचारियों से चुनाव की ड्यूटी कराई जा रही है. इससे पहले स्वास्थ्य से जुड़े संगठनों ने राज्य निर्वाचन आयोग से ऐसे कर्मचारियों की ड्यूटी न लगाने की अपील की थी. ड्यूटी लगाए जाने के बाद भी ड्यूटी निरस्त करने की भी मांग की गई. प्रदेश भर में हजारों की संख्या में स्वास्थ्य कर्मचारियों को पंचायत चुनाव की ड्यूटी में लगाया गया है. ऐसे में स्वाभाविक रूप से स्वास्थ्य सेवाओं का प्रभावित होने की बात कही जा रही है.
फार्मासिस्ट फेडरेशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि उन्होंने आयोग को लिखित और मौखिक रूप से अवगत कराया था कि प्रदेश में कोविड-19 संकट चल रहा है. ऐसे में चिकित्सा कर्मचारियों की ड्यूटी न लगाई जाए. इसके बावजूद भी सभी जनपदों में सूचना मिल रही है कि फार्मासिस्ट की एएनएम की ड्यूटी अन्य चिकित्सा कर्मचारियों की ड्यूटी पंचायत चुनाव में लगी हुई है.