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आरएलडी का सीएम योगी के बयान पर हमला, कहा- देवासुर संग्राम में जहां बीजेपी प्रत्याशी हारेंगे उन्हें असुर मानेंगे ?

सीतापुर में निकाय चुनाव की तुलना देवासुर संग्राम से करने पर सीएम योगी आदित्यनाथ पर राष्ट्रीय लोक दल के प्रवक्ता सुरेंद्र त्रिवेदी ने हमला बोला है. उन्होंने कहा कि चुनाव खुशियों का महापर्व है.

राष्ट्रीय लोक दल के प्रवक्ता सुरेंद्र त्रिवेदी
राष्ट्रीय लोक दल के प्रवक्ता सुरेंद्र त्रिवेदी

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Published : May 1, 2023, 3:47 PM IST

राष्ट्रीय लोक दल के प्रवक्ता सुरेंद्र त्रिवेदी बोले.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में सीतापुर में निकाय चुनाव को लेकर आयोजित हुई जनसभा में देवासुर संग्राम से इस चुनाव की तुलना की थी. उन्होंने कहा था कि जिस तरह देवासुर संग्राम हुआ था. उसी तरह इस चुनाव में देवताओं और असुरों के बीच संग्राम है. सीएम के इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

राष्ट्रीय लोक दल के प्रवक्ता सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी ने कहा है कि अगर सीएम योगी आदित्यनाथ चुनाव को देवासुर संग्राम मान रहे हैं तो यह भी मानना होगा कि जहां विपक्ष के प्रत्याशी जीतेंगे. वहां वह देवता होंगे और भारतीय जनता पार्टी के जो प्रत्याशी हारेंगे वह असुर कहलाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वह देवताओं की तरह युद्ध जीतने के लिए महर्षि दधीचि किसे बना रहे हैं ? इसका भी खुलासा करें.

राष्ट्रीय लोक दल के प्रवक्ता सुरेंद्र त्रिवेदी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि वह तो चुनाव को लोकतंत्र का महापर्व मानते हैं. यहां महापर्व खुशियों के साथ मनाया जाता है. चुनाव में संघर्षों के बाद भी आपसी संबंध बड़े प्रेम पूर्वक चलाए जाते हैं. अगर इसको सीएम योगी देवासुर संग्राम मान रहे हैं तो सर्वप्रथम बात यह है कि जहां-जहां भाजपा की विजय होगी, वहां तो उनके प्रत्याशी देवता माने जाएंगे. लेकिन, जहां विपक्ष की विजय होगी, वहां विपक्ष के लोग देवता होने चाहिए. यानी भाजपा का जो प्रत्याशी हारेगा, वह राक्षस कहलाएगा.

दूसरी बात अगर देवासुर संग्राम है तो महर्षि दधीचि की हड्डियों का देवताओं ने राक्षसों को मारने के लिए धनुष बनाया था, तो दधीचि किसको बना रहे हैं ? दधीचि का पात्र कौन है ? इसका भी खुलासा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को करना चाहिए. एक तरफ दधीचि की भूमिका किसको दे रहे हैं ? ये बताएं और दूसरी तरफ यह भी स्वीकार करें कि जहां जिसकी जीत हो वह देवता है. जो हारे वह राक्षस है. चाहे वह बीजेपी का ही क्यों न हो. उसे भी राक्षस माना जाना चाहिए. अगर उनकी नजर में विपक्ष राक्षस है, तो हमारी नजर में जीतने वाला देवता है. इसके अलावा हारने वाला राक्षस, फिर चाहे वह पक्ष का हो या फिर विपक्ष का प्रत्याशी हो.

स्थानीय निकाय चुनाव के पहले चरण का मतदान 4 मई को होना है. इसके लिए 2 मई की शाम को चुनाव प्रचार खत्म हो जाएगा. सभी दलों के नेता चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगाकर जनसभाएं कर रहे हैं. राष्ट्रीय लोक दल भी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहा है. पार्टी को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव की तरह ही राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी स्थानीय निकाय चुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन कर जीत दर्ज करेंगे.

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