लखनऊ : एक तरफ जहां प्राणी उद्यान वन्यजीव सप्ताह मना रहा है. वहीं दूसरी ओर वन्यजीवोंं की कमी चिड़ियाघर का आकर्षण कम कर रही हैं. प्रदेश का चर्चित नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान मौजूदा समय में वन्यजीवों का ओल्ड एज होम बनकर रह गया है. जहां ज्यादातर स्टार वन्यजीव औसत उम्र के करीब हैं. ऐसे में उनके कुनबे के विस्तार की संभावनाएं भी खत्म हो चुकीं हैं. चिड़ियाघर में पिछले पांच-छह वर्षों में कई स्टार वन्यजीवों की मौतें हुईं. ऐसे वन्यजीवों को दोबारा लाने की कवायद शुरू तो हुई, लेकिन फाइलों तक ही सीमित रही. वन्यजीवों को लाने की कवायद अरसे से पूरी नहीं हो पाई है. दूसरी ओर एकाकी जीवन जी रहे स्टार वन्यजीव की बढ़ती उम्र के चलते उनके कुनबे के विस्तार की संभवनाएं भी शून्य हो गईं हैं. वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में जू अपना आकर्षण खो देगा.
एक समय था जब चिड़ियाघर में लोग हुक्कू के बाड़े के सामने लोग जमावड़ा लगाए रहते थे. कोई सफेद बाघ आर्यन को देखने के लिए घंटों इंतजार करते थे. ऐसे कई वन्यजीव थे जो लखनऊ चिड़ियाघर का आकर्षण का केंद्र थे. इनके जाने से चिड़ियाघर में स्टार वन्यजीवों की कमी हो गई है. जू का मुख्य आकर्षण रहे दो वर्ष के हिप्पो बादल और फिर मुन्नी की चार साल पहले मौत हो गई थी. मौजूदा समय में हिप्पो धीरज (35) और आदित्य (5) हैं. वर्ष 2018 में चार हिप्पो थे. 35 साल के हुक्कू की अक्टूबर 2019 में मौत हो गई थी. उसे देहरादून से नवंबर 1988 में लाया गया था. वर्ष 2002 में उत्तराखंड से आई फीमेल हुक्कू रानी की पांच साल बाद मौत हो गई थी. 34 साल के गैंडा लोहित की वर्ष 2018 में मौत हो गई थी. वह 1983 में कानपुर प्राणि उद्यान में जन्मा था. इसी जुलाई में चिम्पॉजी जेसन की वृद्धावस्था के चलते मौत हो गई. अब फीमेल चिम्पाजी निकिता है. दोनों मैसूर जू से लाए गए थे. इसके अलावा सफेद बाघ आर्यन और बब्बर शेर पृथ्वी समेत कई वन्यजीव की भी मौत हो चुकी है.