लखनऊ: टेरर फंडिंग को लेकर यूपी एटीएस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. यूपी सहित देश भर में फैले अलकायदा के माड्यूल्स को खत्म करने के लिए एटीएस ने कई कदम उठाए हैं. अलकायदा का माड्यूल्स यूपी, बिहार और नेपाल समेत अन्य राज्यों में फैला है. टेरर फंडिंग के स्रोतों की जानकारी के लिए अन्य विभाग भी एटीएस की मदद कर रहे हैं. वहीं, एटीएस के निशाने पर आतंकवादियों की मदद करने वाले कई हवाला कारोबारी है. इनमें से कई भूमिगत हो गए हैं.
टेरर फंडिंग को लेकर अब एटीएस (ATS) पुलिस विभाग, इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स और बैंकों से जानकारियां ले रही है. साथ ही ये विभाग अपने-अपने स्तर से भी पड़ताल कर रहे हैं. ATS अफसरों की मानें तो टेरर फंडिंग में 13 बैंक एकॉउंट का कनेक्शन मिला है, जिससे टेरर फंडिंग की जा रही थी. इन बैंक अकाउंट से 6 माह में 32 लाख रुपये का विदेश से लेन-देन हुआ है. सभी खाते सीज कर अब ATS के राडार पर कानपुर से फरार छह हवाला कारोबारियों (Hawala Businessmen) सहित लखनऊ, गोरखपुर, बिहार और नेपाल के हवाला कारोबारी हैं, जिन्होंने आतंकियों की मदद की थी. टेरर फंडिंग के लिए हवाला कारोबार में नाम आने के बाद अब यूपी, बिहार और नेपाल के तमाम हवाला कारोबारी और व्यापारी भूमिगत हो गए हैं.
यूपी एटीएस ने इस नेटवर्क से जुड़े 10 लोगों को 24 मार्च 2018 को प्रतापगढ़, रीवा, गोरखपुर और लखनऊ से गिरफ्तार किया था. एटीएस के अनुसार प्रतापगढ़ निवासी संजय सरोज, नीरज मिश्र, लखनऊ के साहिल मसीह, रीवा के शंकर सिंह, गोपालगंज (बिहार) के मुकेश प्रसाद, पडरौना (कुशीनगर) के मुर्शरफ अंसारी उर्फ निखिल राय, आजमगढ़ के सुशील राय उर्फ अंकुर राय, गोरखपुर के खोराबार क्षेत्र के दयानंद यादव तथा आपस में सगे भाई नसीम अहमद व अरशद नईम को गिरफ्तार किया था. वहीं, पिछले हप्ते ATS ने तीन साल से फरार चल रहे अजय सिंह को गोरखपुर के रामगढ़ताल इलाके से गिरफ्तार कर लिया है. अजय सीधा पाकिस्तान में बैठे हैंडलरों के संपर्क में था. एटीएस अधिकारियों के मुताबिक, अजय अब तक टेरर फंडिंग और हवाला कारोबार में पकड़े गए आरोपियों के अलावा शहर के तमाम बड़े लोगों के संपर्क में था. ATS इसकी जांच में जुट गई है.
ATS को मिलने लगे सुबूत, मंडराने लगा कारोबारियों को खतरा
UP ATS के मुताबिक, अब तक जांच में टेरर फंडिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जितने भी बैंक खाते सामने आए हैं, उनकी डिटेल अब एटीएस के पास आनी शुरू हो गई है. वहीं, दूसरी ओर सभी दस आरोपियों के जेल जाने के बाद शहर के कुछ और बड़े व्यापारियों और सफेदपोशों पर भी एटीएस की कार्रवाई का खतरा मंडराने लगा है. अब तक की जांच में एटीएस पाकिस्तान वाया नेपाल-गोरखपुर कनेक्शन तो पहले ही निकाल चुकी है. वहीं, पकड़े गए आरोपी के खिलाफ एक-दो नहीं, बल्कि कई अहम सबूत भी टीम ने इकट्ठा कर लिए हैं, लेकिन अब एटीएस का दूसरा कदम देश भर में फैले टेरर फंडिंग के नेटवर्क को तोड़ने के लिए बढ़ेगा.