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Published : May 12, 2023, 10:20 AM IST

Updated : May 13, 2023, 9:19 AM IST

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शहरी चुनाव में क्या पिछली बार का करिश्मा दोहरा पाएगी भारतीय जनता पार्टी?

यूपी में 38 जिलों में नगर निगम चुनाव के दूसरे चरण के लिए भी मतदान संपन्न हो चुका है. गुरुवार को करीब 53 फीसद मतदान हुआ. क्या इस बार भारतीय जनता पार्टी नगर निकाय चुनाव में पिछली बार का करिश्मा दोहरा पाएगी? पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण...

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लखनऊ :प्रदेश में निकाय चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चुका है. शनिवार को मतगणना के बाद फैसले सामने होंगे. इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की साख दांव पर लगी है. पिछले निकाय चुनाव में प्रदेश के 16 नगर निगमों से भाजपा के 14 मेयर जीत कर आए थे, जबकि अलीगढ़ और मेरठ की दो सीटें बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई थीं. मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के पास पिछले चुनाव में मेयर पद की एक भी नगर निगम की सीट नहीं थी, हालांकि वह 10 सीटों पर नंबर दो के स्थान पर रही. इस बार 17 नगर निगमों में चुनाव हो रहे हैं. इस बार शाहजहांपुर नया नगर निगम है. प्रदेश में 760 निकाय हैं. इस चुनाव में प्रदेश के 17 मेयर, 199 नगर पालिका परिषद अध्यक्ष और 544 नगर पंचायत अध्यक्ष चुनकर आएंगे. माना जाता है कि जिस दल के पास मेयर, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत अध्यक्ष की जितनी सीटें होती हैं, उसका दबदबा भी ज्यादा होता है. इन चुनावों में सभी की निगाहें इस बात पर लगी हैं कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को अभी मतदाताओं का उतना ही समर्थन प्राप्त है अथवा पार्टी की साख गिरी है. गौरतलब है कि 2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं और इन निकाय चुनावों को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा जा रहा है.

नगर निगम चुनाव

निकाय चुनाव को शहरों की सरकार कहा जाता है. 2017 में इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी का खासा दबदबा रहा और भाजपा ने 16 में से अपने 14 मेयर जिताने में सफलता हासिल की थी, वहीं समाजवादी पार्टी इस बार पूरी तैयारी के साथ मैदान में है और अपने खाते में कुछ सीटें जरूर जोड़ना चाहती है. भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो पिछले चुनाव में आगरा से नवीन जैन, कानपुर से प्रमिला पांडेय, झांसी से रामतीर्थ सिंघल, वाराणसी से मृदुला जायसवाल, इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से अभिलाषा गुप्ता नंदी, गोरखपुर से सीताराम जायसवाल, लखनऊ से संयुक्ता भाटिया, मथुरा-वृंदावन से डॉक्टर मुकेश आर्य, फिरोजाबाद से नूतन राठौर, गाजियाबाद से आशा शर्मा, सहारनपुर से संजीव वालिया, बरेली से उमेश गौतम, मुरादाबाद से विनोद अग्रवाल, अयोध्या से ऋषिकेश उपाध्याय जीत कर आए थे, वहीं बसपा से सुनीता वर्मा (मेरठ) और अलीगढ़ से फुरकान मेयर पद के लिए जीत कर आए थे. कहा जा रहा है कि इस बार विपक्ष ने भाजपा के लिए कुछ सीटों पर चुनौती खड़ी की है. यदि भाजपा ने जीती हुई सीटें गंवाईं तो पार्टी के लिए अच्छा संदेश नहीं रहेगा.

नगर निगम चुनाव (फाइल फोटो)

सहारनपुर में भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में सीधा मुकाबला देखा जा रहा है. यहां भाजपा से डॉ अजय कुमार चुनाव मैदान में हैं, जबकि मुख्य प्रतिद्वंदी बसपा से इमरान मसूद की भाभी खदीजा मसूद सामने हैं. समाजवादी पार्टी ने विधायक आशु मलिक के भाई नूर हसन मलिक को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस पार्टी से प्रदीप वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं. यहां भाजपा और बसपा में सीधा मुकाबला हो रहा है, जबकि समाजवादी पार्टी तीसरे नंबर की लड़ाई लड़ रही है, वहीं गोरखपुर में महापौर के चुनाव में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधी टक्कर है. कम मतदान के बाद भी भाजपा का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. यहां भाजपा से डॉक्टर मंगलेश श्रीवास्तव और समाजवादी पार्टी से फिल्म अभिनेत्री काजल निषाद उम्मीदवार हैं. यदि अलीगढ़ की बात करें तो यहां मेयर पद के लिए भारतीय जनता पार्टी से प्रशांत सिंघल, समाजवादी पार्टी से हाजी जमीर उल्लाह खान, बहुजन समाज पार्टी से सलमान शाहिद और कांग्रेस से सीपी गौतम चुनाव मैदान में हैं. इस बार अलीगढ़ नगर निकाय में एकपक्षीय मुकाबला होता हुआ नहीं दिख रहा है. भाजपा, सपा और बसपा के प्रत्याशियों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. पिछले नगर निकाय चुनाव में बसपा के मोहम्मद फुरकान ने भाजपा प्रत्याशी डॉ राजीव अग्रवाल को हराया था. इस बार भी भाजपा के हिंदू वोटर का बिखराव दिखा है, तो वहीं सपा और बसपा पार्टी द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी खड़ा किया गया, जहां कुछ हद तक मुस्लिम वोटरों का बिखराव दिखा.



कानपुर में भाजपा व सपा की सीधी टक्कर मानी जा रही है. कांग्रेस एक बार फिर कमजोर साबित हुई. कांग्रेस को लेकर शहर में कोई ख़ास चर्चा नहीं है. कानपुर में भाजपा से महापौर के लिए प्रत्याशी प्रमिला पांडेय हैं और सपा से वंदना बाजपेई चुनाव मैदान में हैं. मेरठ में इस बार मेयर पद के लिए भाजपा की राह आसान मानी जा रही है. समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी को यहां उसके ही शहर विधायक और किठौर से विधायक शाहिद मंजूर का साथ तक नहीं मिला है. बीएसपी ने बेहद ही कमजोर प्रत्याशी हशमत मलिक को मैदान में उतारा है. कुछ अन्य सीटों पर भी भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच में रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है. इस चुनाव के बाद प्रदेश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज जाएगा. स्वाभाविक है कि यहां मिली हार-जीत सभी पार्टियों के लिए बड़े मायने रखती है.

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Last Updated : May 13, 2023, 9:19 AM IST

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