लखनऊ: रसोई में हरी मिर्च एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. लेकिन, जुलाई के पहले सप्ताह में इसके दाम साल के उच्चतम स्तर 80-100 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर पहुंच गए हैं. हालांकि, स्थानीय तौर पर उपजाई गई हरी मिर्च के बाजार में आने में अभी देरी है. मानसून के चलते दामों ने तेजी पकड़ ली है, जिससे अब मिर्च के दाम में 50 फीसदी से अधिक की तेजी आ गई है. वहीं, बात करे रसोई घर में इस्तेमाल होने वाली अन्य सब्जियों की तो ज्यादातर सब्जियों के दामों में भारी बढ़ोतरी हुई है. बारिश शुरू होते ही सब्जियों की आवक में कमी हो जाती है. इसके चलते इनके दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो गई है. इधर, टमाटर, धनिया, कद्दू, लहसुन, भिंडी समेत अन्य सब्जियों के दामों में भी उछाल आया है. इनके दामों में दो से तीन गुना तक बढ़ोतरी हुई है.
जून के आखिरी सप्ताह में मिर्च 40 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही थी. लेकिन, अब इसकी कीमतों में लगभग 50 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है. यह अब 80 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है. लखनऊ की दुबग्गा मंडी में पिछले 1 हफ्ते में हरी मिर्च की कीमतों में 50 फीसदी से अधिक बढ़ोत्तरी आई है. दुबग्गा मंडी के व्यापारी व आढ़ती शालिक राम यादव का कहना है कि स्थानीय बाजारों में आपूर्ति में कमी आने के कारण हरी मिर्च अधिक महंगी हो गई है. मिर्च महंगी होने का सबसे बड़ा कारण बारिश है. इसके चलते मंडियों में मिर्च की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. आने वाले दिनों में लोगों को महंगाई से राहत नहीं मिलने वाली है. अभी सब्जियों के दामों में और तेजी आएंगी.