लखनऊ : स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी सरकार पर दलितों पिछड़ों का आरक्षण लूटने का आरोप लगाया. सरकार से पूछे गए एक प्रश्न के दौरान लगाया. इस प्रश्न पर उन्होंने पूछा था कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री ब्रजेश पाठक क्या बताएंगे कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टर, नर्स और पैरा मेडिकल स्टॉफ को भर्ती करने के लिए क्या नीति है. इसके जवाब में चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की नीति के अनुरूप ही चिकित्सा शिक्षा विभाग भी भर्ती करता है.
इस बात से स्वामी प्रसाद मौर्य संतुष्ट नहीं हुए. मौर्य ने सरकार पर आरोप लगाया कि एक वर्ग विशेष से जुड़े अभ्यर्थियों की लगातार भर्ती की जा रही है. इसमें जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है. कोई सुनवाई कहीं मैंने कोई नीति नहीं भी हैं. इस बात का विरोध सरकार की ओर से किया गया. मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि यह लोग अपना समय याद कर रहे हैं. जब एक साथ जाति के लोगों को ही बड़ी बड़ी भर्तियों में भ्रष्टाचार करके प्राथमिकता दी जाती थी. सदन शोर शराबे सदन में डूब गया. जिसके बाद कुछ देर के लिए समाजवादी पार्टी के एमएलसी सदन छोड़ कर बाहर चले गए. सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने समाजवादी पार्टी के सदस्य को समझाने का बहुत प्रयास किया, मगर वह उनकी बात नहीं माने और सदन के बाहर चले गए. कुछ देर में समाजवादी पार्टी के सभी सदस्य वापस आ गए.
समाजवादी पार्टी के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने सवाल पूछा कि क्या पशुधन मंत्री बताएंगे कि चार साल में गोवंश के लिए प्रतिदिन प्रति गोवंश आहार के लिए कितनी धनराशि दी जाती है. जवाब में पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि धर्मार्थ गौशालाओं में रोजाना कुल गायों की संख्या का 70%के हिसाब से अनुदान दिया जाता है. यह अनुदान ₹30 प्रतिदिन दिया जाएगा. जवाब से नाराज समाजवादी पार्टी के एमएलसी ने कहा कि रोजाना का खर्चा चारे पर 205 रुपये का है, मगर सरकार केवल ₹30 का अनुदान दे रही है. जवाब में मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि यह अनुदान है. अनुदान के तौर पर ₹30 ही देंगे. बाकी हमारी गोशालाओं में गायों पर पूरा खर्च किया जा रहा है.
सरकार ने बाबा विश्वनाथ को बनाया कर्जदार, जांच का आदेश : काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट में कर्ज लिए जाने के मामले में समाजवादी पार्टी की ओर से पूछे गए सवाल पर विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने सरकार को जांच कराने का आदेश दिया. आरोप है कि नियमों के विपरीत ट्रस्ट की ओर से कर्ज लिया गया था. जिससे काफी नुकसान हुआ है. समाजवादी पार्टी का आरोप है कि सरकार ने बाबा विश्वनाथ को कर्जदार बना दिया. सरकार ने इस आरोप का बचाव करते हुए कहा कि मंदिर की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए यह कर्ज लिया गया था. एफडी को न तोड़ते हुए सरकार ने उसके विपरीत केवल एक प्रतिशत की दर से कर्ज लिया.
समाजवादी पार्टी के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने सवाल पूछा था कि क्या मुख्यमंत्री बताएंगे कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद ने जनवरी 2017 से एक दिसंबर 2020 के समय विभिन्न बैंकों में कितने फिक्स डिपाजिट थे. विभिन्न भागों में कितनी धनराशि व्यय की गई. जिसके जवाब में भारतीय जनता पार्टी के नेता और जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह पार्टी काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा 9 जनवरी 2017 से दिसंबर 2020 के बीच के बैंकों में 103 फिक्स डिपाजिट किए गए थे. इस दौरान मंदिर को 78.9 करोड़ रुपये की आय हुई थी. जबकि 108.7 करोड़ रुपये का खर्च हुआ था. दूसरा सवाई माधोपुर सेना की ओर से पूछा गया कि वर्ष 2019 से 2020 तक एचडीएफसी बैंक के किस आधार पर लोन लिया गया था.
इसके जवाब में स्वतंत्र सिंह ने बताया कि 2019 से 2020 में वैश्विक महामारी के बावजूद काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद कारीडोर का निर्माण चल रहा था. जिसमें 6 माह तक आम लोगों के लिए विश्वनाथ मंदिर बंद था. जिसमें तमाम खर्चों को पूरा करने के लिए 4 पॉइंट 75 लाख ₹20000 का ओवरड्राफ्ट एचडीएफसी बैंक से लिया गया था. जिस पर बैंक की ओर से केवल 1% ब्याज लिया गया. अगर हम यह एफडी लगा लेते तो हमको प्रतिवर्ष 7% ब्याज का नुकसान होता है. ऐसे में खर्च उठाने के लिए हमको यह करना पड़ा. इसको समाजवादी पार्टी की ओर से आरोप लगाया कि इसका अर्थ है कि सरकार ने बाबा विश्वनाथ को कर्जदार बना दिया. जबकि कई अधिकारियों के व्यक्तिगत खर्चे ट्रस्ट की ओर से उठाए जा रहे हैं. इस आरोप को लेकर विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र प्रताप सिंह ने जांच का आदेश दिया. सरकार ने जांच के आदेश को स्वीकार कर लिया.
प्रदेश के सभी सामुदायिक केंद्रों पर होगी अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था : विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के सदस्यों की ओर से कई जिलों में सामुदायिक केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था ना होने का सवाल उठाया. इसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि हमारे पास तो रेडियोलॉजिस्ट की कमी है. इस वजह से कई जगह पर अल्ट्रासाउंड केंद्र नहीं है, मगर हम निजी क्षेत्र के साथ मिलकर अल्ट्रासाउंड कर रहे हैं. जिसमें महिला को कोई खर्च नहीं करना पड़ता है सारा खर्च सरकार उठाती है. धीरे-धीरे हम पूरे प्रदेश में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था करेंगे.
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