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आखिर यूपी क्यों बन रहा आतंकियों का अड्डा, बीते 5 सालों में 25 स्लीपर मॉड्यूल गिरफ्तार

यूपी पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश के आतंकी संगठनों के निशाने पर है. बीते पांच सालों में यूपी में 25 स्लीपर माड्यूल गिरफ्तार हुए हैं. आखिर यूपी आतंकियों की गतिविधियों का अड्ढा क्यों बन रहा है, चलिए जानते हैं.

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यह बोले पूर्व डीजीपी एके जैन.

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Published : Aug 19, 2022, 4:10 PM IST

लखनऊ: पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश के आतंकी संगठनों के निशाने पर उत्तर प्रदेश है. ये सभी संगठन राज्य में बड़ी तबाही के लिए नापाक साजिशें रच रहे हैं. बीते पांच सालों में जम्मू कश्मीर को छोड़ अन्य किसी भी राज्य से कहीं ज्यादा यूपी में आतंकियों की गिरफ्तारी इस बात की तस्दीक कर रही है कि सूबे में योगी सरकार बनने के बाद प्रदेश का माहौल खराब करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है. हालांकि हर बार आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) आतंकियों के मंसूबों पर पानी फेर रहा है.

उत्तर प्रदेश में बीते दिनों 5 दिनों में 3 आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद यूपी में सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं. आतंकियों ने पूछताछ के दौरान जो खुलासे किए हैं, उससे साफ है कि बीते 5 सालों से यूपी में बड़ी आतंकी साजिशें रची जा रही हैं. न सिर्फ ये तीन आतंकी बल्कि साल 2017 से अब तक हुई करीब 25 आतंकियों की गिरफ्तारी के मंसूबों से साफ हुआ था कि राज्य में बीजेपी सरकार बनने के बाद पाकिस्तान, तालिबानी व बांग्लादेशी आतंकी संगठनों ने उत्तर प्रदेश को अपना टारगेट बना रखा है. आतंकी संगठन किसी भी हाल में यूपी को दहलाने के मिशन पर लगे हैं.

यह बोले पूर्व डीजीपी एके जैन.

अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो पाएंगे कि साल 2009 से 2014 तक इन पांच सालों में यूपी में 6 आतंकियों की गिरफ्तारी हुई थी. वहीं, साल 2017 से अब तक 25 आतंकियों की गिरफ्तारी कर यूपी एटीएस आतंकी संगठनों के मंसूबों को नाकाम कर चुकी है. इसमें छह आतंकी सिर्फ सहारनपुर व देवबंद से ही गिरफ्तार किए गए हैं.

योगी सरकार में सबसे पहले मार्च 2017 में सुरक्षा बलों ने लखनऊ में छिपे आतंकी सैफुल्ला को मार गिराया था, जो ISIS के खुरासान माड्यूल का सदस्य था. वह कानपुर का रहने वाला था. वारदात के बाद कानुपर और उन्नाव में भी कई आतंकियों की गिरफ्तारी हुई थी. सितंबर 2018 में चकेरी के जाजमऊ अहिरवां स्थित शिवनगर कॉलोनी पकड़े गए हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमां उर्फ कमरुद्दीन उर्फ डॉ. हुरैरा को गिरफ्तार किया था. एनआइए और एटीएस को पूछताछ में इसने एक और आतंकी ओसामा बिन जावेद का नाम लिया था, जो हिजबुल मुजाहिद्दीन का कमांडर था और सितंबर 2019 में जिसे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने मार गिराया था.


मार्च 2019 में देवबंद से गिरफ्तार आतंकी शाहनवाज तेली और आकिब ने खुलासा किया था कि जैश-ए-मुहम्मद का एरिया कमांडर देवबंद में आया था. यही नहीं उसने यूपी के कई जिलों में दर्जनों मुस्लिम युवकों से मुलाकात की थी. यूपी एटीएस को शक था कि जैश कमांडर ने यूपी में रह कर स्लीपर मॉड्यूल की भर्ती की थी.

आखिर बीते 5 सालों में आतंकियों का अड्डा क्यों बना यूपी
साल 2017 में यूपी में बीजेपी सरकार बनी और मुख्यमंत्री बनाये गए योगी आदित्यनाथ. योगी की छवि एक कट्टर हिंदूवादी नेता की है. उस वक़्त आतंकी संगठन देश के कई राज्यों में अपना विस्तार कर रहे थे लेकिन उत्तर प्रदेश में जब बीजेपी सरकार बनी तो आतंकी संगठनों के लिए यूपी में बड़ी संख्या में युवा, अशिक्षित और बेरोजगार मुस्लिम युवाओं में मुस्लिम समुदाय के साथ कथित अन्याय, अयोध्या विवाद व CAA-NRC जैसे मुद्दों के सहारे स्लीपर सेल तैयार करना आसान हो गया.

बीते 5 सालों में छह आतंकियों की गिरफ्तारी पश्चिमी यूपी खासकर देवबंद, सहारनपुर से हुई है. पश्चिमी यूपी में आतंकी कनेक्शन का सबसे बड़ा कारण है कि यहां छिपने की भरपूर जगह है. यहां आने-जाने का रास्ता आसान है. यही नही सहारनपुर से पाकिस्तान की सीमा भी नजदीक है. देवबंद में पाकिस्तान व अफगानिस्तान से छात्र भी पढ़ाई के लिए आते हैं. देश के बंटवारे के समय से ही यहां पाकिस्तान के लोगों की रिश्तेदारी भी है.


इस बारे में पूर्व डीजीपी एके जैन बताते है कि उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा प्रदेश है, जहां पर मुस्लिमों की संख्या बहुत अधिक है. कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ ऐसे इलाके अति संवेदनशील की श्रेणी में आते है. यहां हमेशा उग्रवाद की समस्या रही है.जैन कहते है कि यूपी के मुस्लिम लड़कों को गुमराह करना काफी आसान है. यही लड़के आतंकी संगठनों के स्लीपर मॉड्यूल बनते है. जो गिरफ्तारियां हो रही है वो स्लीपर मॉड्यूल्स की ही हो रही है. यही सबसे अधिक खतरनाक होते है क्योंकि ये हमारे बीच में ही रह कर पाकिस्तान में बैठे अपने आका के एक इशारे में बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम दे देते है.



साल 2017 से 2022 तक हुईं गिरफ्तारी

  • अगस्त 2022: आजमगढ़ से ISIS आतंकी सबाउद्दीन, सहारनपुर से नदीम व कानपुर से हबीबुल उर्फ सैफुल्ला गिरफ्तार.
  • अप्रैल 2022: गोरखपुर से ISIS आतंकी अहमद मुर्तजा अब्बासी व सहारनपुर देवबंद से जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश का सदस्य तलहा गिरफ्तार.
  • मार्च 2022: सहारनपुर से लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी इनामुल गिरफ्तार.
  • सितम्बर 2021: ISI से जुड़े लखनऊ के आलमबाग से मोहम्मद आमिर, प्रयागराज के करेली से जीशान और रायबरेली के ऊंचाहार से लाला गिरफ्तार.
  • जुलाई 2021: लखनऊ से अलकायदा के अंसार गजवत-उल-हिंद के मिन्हाज अहमद और मसीरुद्दीन दबोचे गए.
  • फरवरी 2021: खालिस्तानी आतंकी जगदेव सिंह जग्गा को लखनऊ के जानकीपुरम से गिरफ्तार.
  • अगस्त 2020: बलरामपुर के ISIS आतंकी अबु यूसुफ को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया.
  • जून 2020: बरेली से अंसार गजवतुल हिंद संगठन से जुड़ा इनामुल गिरफ्तार.
  • फरवरी 2019: सहारनपुर से जैश-ए-मोहम्मद के शाहनवाज अहमद तेली व आकिब मलिक गिरफ्तार.
  • दिसंबर 2018: चकेरी एयरपोर्ट के पास से कमरज्जमा गिरफ्तार.
  • अक्तूबर 2018: बुलंदशहर में जाहिद और मेरठ कैंट से सेना का सिग्नल मैन कंचन सिंह गिरफ्तार.
  • मार्च 2017: सुरक्षा बलों ने लखनऊ में छिपे आतंकी सैफुल्ला को मार गिराया.
  • मार्च 2017: कानपुर से खुरासान मॉड्यूल के गौस मोहम्मद, दानिश, फैसल, इमरान, अजहर गिरफ्तार.

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साल 2003 से 2014 तक हुई गिरफ्तारी

  • अगस्त 2014: मेरठ से आईएसआई एजेंट आसिफ अली गिरफ्तार.
  • अप्रैल 2014: कानपुर पनकी स्टेशन के पास से जाहिद गिरफ्तार.
  • जुलाई 2012: कानपुर सेंट्रल स्टेशन से फिरोज खान गिरफ्तार.
  • सितंबर 2011: कानपुर के रेलबाजार इलाके से आइएसआइ एजेंट फैसल रहमान गिरफ्तार.
  • सितंबर 2009: कानपुर सचेंडी से आइएसआइ एजेंट इम्तियाज गिरफ्तार.
  • सितंबर 2009: कानपुर के बिठूर से आइएसआइ एजेंट वकास गिरफ्तार.
  • जून 2007: बिजनौर में हूजी के दो आतंकी गिरफ्तार.
  • मार्च 2005: मेरठ से खलील हुसैन शाह गिरफ्तार.
  • अप्रैल 2004: मेरठ से रूबी बेगम आईएसआई एजेंट गिरफ्तार.
  • मार्च 2003: मुजफ्फरनगर से जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी सज्जाद व इत्तफाक दबोचे गए.



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